दूसरे राज्यों में फंसे झारखंड के स्टूडेंट्स को वापस लाने के लिए आदेश की मांग...
Apr 27, 2020
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोविड-19 से उत्पन्न झारखंड से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं से अवगत कराया, उन्होंने कहा कि कोरोना के नियंत्रण के लिए गृह मंत्रालय ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 के तहत समय-समय आदेश निर्गत किये गए।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का दूसरे राज्यों में झारखंड के छात्रों और मजदूरों को अपने राज्य में वापस लाने के लिए ध्यान आकृष्ट करते हुए सूचित किया कि झारखंड के 5 हजार से ज्यादा बच्चे कोटा और देश के अन्य शहरों में लॉकडाउन के कारण फंसे हुए हैं।
साथ ही लगभग 5 लाख से अधिक फंसे मजदूर अपने राज्य वापस आना चाहते हैं, बार-बार गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें वापस लाने का प्रबंध राज्य सरकार करें, गृह मंत्रालय द्वारा 15 अप्रैल 2020 को जारी आदेश में लिखा है कि 3 मई 2020 तक व्यक्तियों का इंटर-स्टेट आवागमन मना है।
हालांकि प्रतिदिन यह जानकारी प्राप्त हो रही है कि कुछ राज्य आपसी सहमति से बड़े पैमाने पर छात्रों का इंटर-स्टेट आवागमन करा रहे हैं, जबकि गृह मंत्रालय द्वारा ऐसा करने के लिए कोई रियायत नहीं दी गयी है।
भारत सरकार के निर्देशों के विपरीत की गई कार्रवाई सिर्फ इस आधार पर बाध्य नहीं हो सकती कि यह कार्य संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्री की आपसी सहमति से किए गए हैं, ऐसे राज्यों से केंद्र सरकार द्वारा किसी प्रकार का स्पष्टीकरण पूछे जाने या डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के प्रावधानों के तहत इनके विरुद्ध किसी प्रकार की कार्रवाई किए जाने का कोई भी मामला सामने नहीं आया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनमानस में ऐसी धारणा बन रही है कि इन राज्यों को भारत सरकार के गृह मंत्रालय की मौन सहमति प्राप्त है, बच्चों के अभिभावक, मजदूरों के रिश्तेदारों , जनप्रतिनिधि और अन्य बुद्धिजीवियों द्वारा अन्य राज्यों की तरह हमारे बच्चों एवं मजदूरों को वापस लाने की व्यवस्था करने का लगातार दबाव सरकार पर बनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में उभर रहे आक्रोश से विशेष रूप से अवगत कराया, मुख्यमंत्री ने निवेदन किया है कि प्रधानमंत्री गृह मंत्रालय को निर्देश दे कि इन राज्यों में फंसे बच्चों को वापस लाने के लिए आदेश निर्गत करें,
ताकि केंद्र सरकार के सहयोग से वैधानिक रूप से इस कार्य को पूरा किया जा सके, मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जिन राज्यों द्वारा इस कार्य को बिना केंद्र के आदेश के किया जा रहा है, इन राज्यों के वरीय पदाधिकारियों को भविष्य में न्यायालयों में अप्रिय स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। प्रशासन पर इसका कुप्रभाव लंबे समय तक महसूस किया जाएगा।
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