बिरसा हरित ग्राम योजना; के कुछ पहलू



बिरसा हरित ग्राम योजना; के कुछ पहलू।


झारखंड प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के कारण खराब हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने को लेकर, राज्य सरकार की सोच अब जमीनी स्तर पर कार्यान्वित होनी शुरू हो गई है। संकट की इस अवधि में लोगों को तत्काल रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ ,ग्रीन एसेट की दोहरी मंशा के साथ शुरू की गई बिरसा हरित ग्राम योजना के पहले वर्ष का  वर्क प्लान तैयार कर लिया गया है।

बिरसा हरित ग्राम योजना; के कुछ पहलू

मनरेगा के तहत  क्रियान्वित होने वाली इस योजना को पूरे राज्य में एक साथ शुरू किया गया है। प्रत्येक पंचायत के हर एक गांव में 5 एकड़ भूमि पर पौधारोपण कार्य रैयती, और गैरमजरूआ दोनों तरह की जमीन पर किया जाना है।

गैरमजरूआ जमीन पर 100 _ 100 पेड़ों का पट्टा, जरूरतमंदों और भूमिहीनों के बीच सौंपा जाएगा। इसी क्रम में साहिबगंज जिला समेत झारखंड के हर जिले में भी बृहद रूप से वृक्षारोपण किया जा रहा है। जिससे आने वाले समय में पर्यावरण का संतुलन बनने के साथ-साथ, लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हो सकेंगे।

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इन्हीं प्रयासों के साथ साहिबगंज जिले के हर प्रखंड में कुछ लाभुकों के बीच आम एवं अमरुद के पौधों का वितरण किया जा रहा है। उन सभी लाभुक किसानों को स्वाबलंबी, एवं आत्मनिर्भर होने में मदद मिल सकेगी।

पहले वर्ष पूरे राज्य में 40 लाख पौधे लगाए जाएंगे ।और इस मद में श्रम व संसाधन पर ₹660 करोड़ रुपए व्यय होंगे। झारखंड के हेमंत सरकार न केवल राज्य के विकस में जुटी है, बल्कि जल, जंगल ,और जमीन को भी सुरक्षित रखने के लिए प्रयासरत है।

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इस कोशिश के तहत बड़े पैमाने पर गरीबों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है। अनुमान लगाया गया है कि पहले वर्ष में तीन करोड़ मानव कार्य दिवस रोजगार का सृजन होगा। मनरेगा के अंतर्गत क्रियान्वित होने वाली इस योजना को पूरे राज्य में एक साथ शुरू किया गया है।

गैरमजरूआ जमीन के लिए जरूरतमंदों को 30 साल का पट्टा दिया जाएगा। स्पष्ट रूप से समझें तो उनका मालिकाना हक अगले 30 सालों तक का होगा। अनुमान लगाया गया है कि 100 पौधों की एक फलदार यूनिट 3 से 4 साल बाद ,एक ग्रामीण परिवार को ₹50000 तक की आय देगी।

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फलदार पौधों के अलावा तसर कीट पालन के लिए ,अर्जुन और आसन, तथा कीट पालन के लिए, सेतिया लता की बागवानी भी की जा सकती है। रैयती जमीन पर एक परिवार को अधिक से अधिक 1 एकड़ में फलदार वृक्ष के पौधे की रोपाई, एवं ढाई एकड़ तक तसर कीट पालन के लिए पौधारोपण की अनुमति होगी।

तय यह भी किया गया है कि कम से कम 50 डिसमिल भूमि पर फलदार, एवं 1 एकड़ में तसर कीट पालन के लिए पौधारोपण किया जा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि पूरे राज्य में लाखों पौधों की व्यवस्था कैसे की जाएगी? और इसे उपलब्ध कहां से किया जाएगा? सरकार ने इसका हल भी ढूंढ  निकाला है।

जानकारी के अनुसार नेशनल होल्टीकल्चर बोर्ड के तहत रजिस्टर नर्सरी से 15 20 लाख पौधे की व्यवस्था की जाएगी। वन विभाग की विभिन्न नर्सरी से भी इतने ही पौधे जुटाए जाएंगे। शेष पौधों के लिए निजी संसाधनों की खोज की जाएगी।

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जमीन पर ;विरसा हरित ग्रामीण योजना; के तहत लगाए जाने वाले पौधों के मानक का निर्धारण भी किया गया है। आधा एकड़ की एक यूनिट में 100 पौधे लगाए जाएंगे। इसके तहत 24 आम के पेड़ ,24 अमरूद के पेड़, 22 इमारती एवं मवेशियों के चारों से संबंधित पेड़ , 20 निंबू, एवं 10 सहजन के पौधे होंगे।

इन पौधों के देखभाल की जिम्मेदारी ग्राम सभा द्वारा चयनित अति गरीब, एससी, एसटी, भूमिहीन ,आदिम जनजाति, आदि परिवारों को दिया जाएगा। उसे ही इसका अधिकार भी दिया जाएगा। एप्रोच रोड एवं इंटरनल रोड के किनारे की खाली गैरमजरूआ जमीन पर रैखीक पौधारोपण किया जाएगा।

जिसमें एक यूनिट में 100 पौधे लगाए जाएंगे ।एक गांव में न्यूनतम 5 एकड़ जमीन पर फलदार वृक्ष के पौधे की रोपाई की जाएगी। जबकि तसर कीट पालन के लिए, पौधारोपण 15 एकड़ से कम रकवे में नहीं किया जाएगा। फलदार वृक्षों के पौधों की रोपाई उन्हीं स्थानों पर क्रियान्वित किया जाना है, जहां सिंचाई की उत्तम व्यवस्था उपलब्ध हो।

बता दें कि मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने गत 4 मई को ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को तत्काल रोजगार मुहैया कराने के लिए, ग्रामीण विकास विभाग की 3 योजनाओं का शुभारंभ किया था। इनमें ,विरसा हरित ग्राम योजना ,और नीलांबर_ पीताम्बर जल समृद्धि योजना पर तत्काल प्रभाव से काम शुरू कर दिया गया है।

किंतु यह योजना कितनी सफल हो पाएगी, इसमें प्रश्नचिन्ह भी  लगता दिख रहा है। क्योंकि ग्रामीणों को कृषि वानिकी के कार्य की जानकारी का पूर्णतः अभाव है। सिर्फ गड्ढा खोदकर पेड़ लगाने से ही सफलता नहीं मिल जाएगी। पौधे जीवित रहे, वह फले -फूले, यानी उनकी उत्तरजीविता का भी खास ध्यान व ख्याल रखना होगा। एक यूनिट में 100 पौधे लगाए तो जाएंगे, लेकिन इनमें जीवित कितने रहेंगे, यह तो आनेवाला वक्त ही तय करेगा।

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