साहिबगंज: विरोध के लिए विरोध कि राज नीति ठीक नहीं : राजमहल विधायक


विरोध के लिए विरोध कि राज नीति ठीक नहीं : राजमहल विधायक

Sahibganj News: राजमहल के विधायक अनंत ओझा ने नई शिक्षा नीति 2020 का स्वागत करते हुए मनांनीय प्रधानमंत्री,श्री नरेन्द्र मोदी जी  के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि लगभग 34 साल बाद, शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा, और मजबूत बदलाव देखने को मिल रहा है।

विरोध के लिए विरोध कि राज नीति ठीक नहीं : राजमहल विधायक

मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन के नई शिक्षा नीति के विरोध वाले बयान पर  विधायक अनंत ओझा ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जी का बयान संघीय व्यवस्था पर आघात है। झारखंड जैसे राज्य के लिए नई शिक्षा नीति वरदान है।

नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाई का समावेश करने से झारखंड के आदिवासी, दलित, पिछड़े छात्रों को न्याय मिला है। लंबे समय से इसकी मांग की जा रही थी। विधायक अनंत ओझा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी का विचार पुरातनपंथी है।

बदलते वैश्विक परिवेश व जरूरतों को नई शिक्षा नीति के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। उन्हें झारखंड की जनता को बताना चाहिए कि क्या अपनी मातृभाषा में झारखंडी छात्र की पढ़ाई हो उन्हें रोजगार परक शिक्षा मिले कैसे गलत है।

देश व प्रदेश के लाखों जन गण की भागीदारी के साथ इसका प्रारूप तैयार हुआ है। केवल "विरोध के लिए विरोध की राजनीति" उचित नही है। उन्होंने कहा कि लंबे इंतजार के बाद  शिक्षा के क्षेत्र में एक नए युग की शुरूआत हुई है।

इसमें प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक, ढांचागत बदलाव किए गए हैं। बच्चों को उनके परिवेश, संस्कृति और मातृभाषा से जोड़कर शिक्षण कार्य किया जाएगा। इससे जहां उनका मौलिक विकास होगा, वहीं सांस्कृतिक विरासत संजोने में भी सहायता मिलेगी।

ज्ञात हो कि  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने जून 2017 में पूर्व इसरो प्रमुख डॉ0 के0 कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था। गठित समिति द्वारा मई, 2019 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप प्रस्तुत किया गया।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री मनांनीय डॉक्टर रमेश पोखर यााल जी ने एक व्यापक लोकतांत्रिक नीति अपनाते हुए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति से संबंधित देश के कोने-कोने से सभी  लोगों से रायशुमारी की। देश के इतिहास में यह पहली बार है जब ,समावेशी शिक्षा नीति बनाने के लिए करीब 2.5 लाख ग्राम पंचायतें, 6600 ब्लॉक ,और 650 जिलों से इस संबंध में मंतव्य लिए गए।

इसमें शिक्षाविद, अध्यापक, अभिभावक, जनप्रतिनिधि एवं काफी संख्या में छात्र-छात्राओं से भी सुझाव लेकर उनका गहन मंथन किया गया। नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को बढ़ावा दिया गया है। यह नई शिक्षा नीति निश्चित
रूप से रोजगार परक साबित होगी।इससे पढ़ने के बजाय सीखने का महत्व दिया गया है।


साथ हीं उन्होंने ये भी कहा कि, झारखंड सरकार का कांग्रेस के इशारे पर इस शिक्षा नीति का विरोध करना दुर्भाग्यपूर्ण है। ये लोग सिर्फ कठपुतली की तरह छात्रों  को रखना चाहते हैं ।

ये सरकार शिक्षा के क्षेत्र में बच्चे के भविष्य को लेकर लापरवाह है । छात्रों को पंगु बनाने के नियत से  ये सरकार नही चाहती कि ,छात्र  आत्मनिर्भर होकर राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।

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