आज से 20 साल पहले बिहार से अलग हुआ था झारखण्ड, यहाँ देखिये कैसा रहा अब तक का शफर


Sahibganj News: 54 प्रतिशत गरीबी और पिछड़ेपन के साथ आज से 20 साल पहले 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग हुआ झारखंड विकास के राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने की लगातार कोशिश कर रहा है. गरीबी कम हुई है. कुछ खास अवधि तक राज्य का विकास दर राष्ट्रीय औसत से अधिक रहा है. प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है.

आज से 20 साल पहले बिहार से अलग हुआ था झारखण्ड, यहाँ देखिये कैसा रहा अब तक का शफर

इन सारी कोशिशों के बावजूद झारखंड अब भी राष्ट्रीय औसत से पीछे है. सरकार द्वारा विकास के लिए तैयार करायी गयी विशेष कार्य योजना में राज्य और राष्ट्रीय औसत का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए यह कहा गया है कि विकास की वर्तमान दर को जारी रखने पर भी राज्य को राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने में वर्ष 2030 तक का समय लगेगा.

एकीकृत बिहार के समय झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों के लिए अलग से बजटीय प्रावधान किया जाता था. राजस्व के नजरिये से बिहार की कुल आमदनी का 55 प्रतिशत झारखंड क्षेत्र से प्राप्त होता था. इसके बावजूद समुचित महत्व नहीं मिलने की वजह से झारखंड का इलाका पिछड़ता चला गया. बिहार के विभाजन के बाद झारखंड की तत्कालीन सरकार ने वित्तीय वर्ष 2001-02 में 7,174.12 करोड़ रुपये का बजट बनाया.


राज्य के पिछड़े होने और 54 प्रतिशत गरीबी के बावजूद सरकार ने अपने पहले बजट को सरप्लस बजट (खर्च के मुकाबले ज्यादा आमदनी) के रूप में प्रचारित किया. हालांकि, महालेखाकार(एजी) ने ऑडिट के बाद वित्तीय वर्ष 2001-02 के बजट को घाटे का बजट करार दिया.

15 साल में राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 7.58 प्रतिशत बढ़ी प्रति व्यक्ति आय वित्तीय वर्ष 2001-02 में राज्य में प्रति व्यक्ति आय 10,451 रुपये हुआ करती थी. उस वक्त प्रति व्यक्ति आय का राष्ट्रीय औसत 16,764 रुपये था. यानी राष्ट्रीय औसत के मुकाबले सिर्फ 62.34 प्रतिशत. सरकार द्वारा आर्थिक, सामाजिक सहित अन्य क्षेत्रों में किये गये कार्यों के कारण प्रति व्यक्ति आय लगातार बढ़ती गयी. 


वित्तीय वर्ष 2015-16 में राज्य का प्रति व्यक्ति आय 10,451 रुपये से बढ़ कर 54,140 रुपये हो गया. इसी अवधि में प्रति व्यक्ति आय का राष्ट्रीय औसत बढ़ कर 77,435 रुपये हो गया. यानी 2015-16 में झारखंड में प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 62.34 प्रतिशत से बढ़ कर 69.92 प्रतिशत हो गयी.

राज्य की औसत विकास दर में इस वक्त हुआ सुधार

वित्तीय वर्ष 2001-02 से 2004-5 और 2012-13 से 2015-16 की अवधि में राज्य की विकास दर राष्ट्रीय विकास दर के औसत से अधिक रही. सरकार के आंकड़ों के अनुसार 2001-02 से 2004-5 तक की अवधि में राज्य की औसत विकास दर 8.14 प्रतिशत रही. इसी अवधि में राष्ट्रीय औसत विकास दर 6.41 प्रतिशत रही. 2005-06 से 2011-12 की अवधि में राज्य की औसत विकास दर राष्ट्रीय औसत विकास दर से कुछ कम रही. इस अवधि में राज्य की औसत विकास दर 7.21 और राष्ट्रीय औसत विकास दर 8.47 रही.


वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2015-16 के बीच राज्य की औसत विकास दर में सुधार हुआ. इस अवधि में राज्य की औसत विकास दर 8.59 और राष्ट्रीय औसत विकास दर 6.76 रही. राज्य के विकास के लिए तैयार की गयी विशेष कार्य योजना में राज्य और राष्ट्रीय औसत की विकास दर का अध्ययन कर यह कहा गया है कि अगर दोनों ही इसी दर से बढ़ते रहे, तो राज्य को राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने में वर्ष 2030 तक का समय लगेगा.

हर व्यक्ति 25,906 रुपये का कर्जदार

राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान प्रति व्यक्ति आय बढ़ कर 83,513 रुपये हो जाने का अनुमान किया है. साथ ही 2018-19 के मुकाबले 2019-20 में विकास दर 10.51 प्रतिशत और राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 316730.61 करोड़ रुपये होने का अनुमान किया है.


राज्य गठन के बाद से सरकार ने विकास योजनाओं को तेजी से अंजाम देने के लिए बजट का आकार भी बढ़ाया. इसके मुकाबले राजस्व की स्थिति अत्यधिक संतोषप्रद नहीं होने की वजह से सरकार ने विकास योजनाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों से अधिक कर्ज लेना शुरू किया.

इससे राज्य पर कर्ज का बोझ लगाता बढ़ता गया. आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2001-02 के मुकाबले 2019-20 में बजट आकार 7,174.12 करोड़ रुपये से बढ़ कर 85,429 करोड़ रुपये हो गया. दूसरी तरफ कर्ज का बोझ भी 7519 करोड़ रुपये से बढ़ कर 85,234 करोड़ रुपये हो गया. 

कर्ज का यह बोझ सरकार के बजट से कुछ कम है. सरकार से साथ ही राज्य के हर व्यक्ति पर कर्ज का बोझ भी बढ़ता गया. वित्तीय वर्ष 2001-02 में राज्य का हर आदमी 2,795 रुपये का कर्जदार था. अब राज्य का हर व्यक्ति 25,906 रुपये का कर्जदार हो गया है

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