अवैध खनन होने से पर्यावरण, ग्रामीणों के स्वास्थ्य एवं राज्य की राजस्व को भारी नुकसान
साहिबगंज : झारखंड प्रदेश के साहिबगंज जिले के बरहरवा प्रखंड के मयूरकोला पंचायत एवं पथरिया पंचायत के अंतर्गत ग्राम ढाटापाड़ा, पीपलजोड़ी, एवं फुलचुवां मौजा में इन दिनों अवैध खदान एवं क्रेशर का कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है। माफिया नियम और कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।
अब सवाल उठना लाजमी है कि किसके दम पर यह अवैध पत्थर का कारोबार हो रहा है ? यह बड़ी जांच का विषय है कि इस अवैध खनन का शरणदाता कौन है? और अवैध क्रशर माफिया पर कार्यवाही का साहस आखिर प्रशासन क्यों नहीं जुटा पा रहा है? यह तमाम सवाल लोगों के जेहन में अनायास ही कौंध रहे हैं।
आज से 2 साल पहले 10 फरवरी शनिवार को 2018 में पूर्व जिला खनन पदाधिकारी साहिबगंज कृष्ण कुमार किस्कू के नेतृत्व में कार्रवाई हुई थी। साथ ही साथ पूर्व अंचल अधिकारी बरहरवा सह बरहरवा प्रखंड विकास पदाधिकारी नरेश कुमार मुंडा व कोटालपोखर के पूर्व थाना प्रभारी मनोज कुमार के अलावे पुलिस बल मौजूद थे। दो दर्जन अवैध क्रेशर को प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर ध्वस्त किया था। लेकिन पुनः अधिकारी से सांठ गांठ करके फिर से खनन माफिया उसी पट्टे पर अवैध रूप से चलाने लगे हैं और आज भी चला रहे हैं।
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो रात हो या दिन लाइनर ही खदान एवं क्रेशर की ओर आने वाले पदाधिकारियों से लेकर स्थानीय थानों पर नजर रखते हैं। हालांकि इस खेल में स्थानीय पुलिस की चुप्पी भी संदेह उत्पन्न करती है। जिनकी चुप्पी के कारण बेखौफ होकर अवैध पत्थर का कारोबार होता है।
जानकारी के अनुसार दो- तीन बाइकों पर सवार होकर लाइनर मेन रोड पर चलते हैं। एक बाइक से मेन रोड तो दूसरी बाइक से लाइनर स्थानीय थाने की पुलिस की गतिविधि पर नजर रखते हैं। इसी तरह बीच में भी लाइनर सक्रिय रहते हैं। इस दौरान यदि कोई अधिकारी या पुलिस खदानों व क्रेशर की ओर जाते हैं तो यह लाइन मेन इसकी सूचना माफियाओं तक तुरंत पहुंचा देते हैं।
अधिकारियों के द्वारा छापेमारी के दौरान किसी की गिरफ्तारी का ना होना, कुछ ऐसा ही संकेत देते हैं। यदि ऐसा नहीं भी है तो आखिर कोई तो है जो पदाधिकारियों को खदान व क्रेशर पर पहुंचने से पूर्व ही यह सूचना पहुंचा देता है। क्षेत्र में लगातार अवैध खनन के भारी मात्रा में उड़ती धूल के कारण पर्यावरण प्रदूषण होती है, जिसके फलस्वरूप आसपास में निवास करने वाले ग्रामीण गम्भीर बीमारियों की चपेट में आते रहते हैं।
इस क्षेत्र में खनन माफियाओं द्वारा पत्थर खनन व्यापार को पर्यावरण को ताक में रखकर किया जाता है। उन्हें तो बस अवैध धंधे द्वारा मोटी काली कमाई से मतलब है, चाहे पर्यावरण प्रदूषण से आसपास की जनता मरे या जियें,इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। साथ ही अवैध खनन मामले पर स्थानीय प्रशासन की चुप्पी, प्रशासन और खनन माफियाओं के बीच आखिर ये रिश्ता क्या कहलाता है?
कुछ ऐसा है अवैध धंधे का पूरी खेल
क्षेत्र में अवैध पत्थर खनन होने से ओवरलोडिंग ट्रकों का लगातार परिवहन संचालन किया जाता है, और इन ट्रकों को फर्जी चालान के सहारे अवैध वसूलीकर्ताओं द्वारा अवैध वसूली की रकम लेकर फिर इन ट्रकों को झारखंड से बंगाल सीमा के भीतर अवैध रूप से प्रवेश कराया जाता है। इस अवैध धंधे पर जिला प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
साहिबगंज न्यूज़ टीम
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