सोहराय पर्व झारखंड की लोक संस्कृति और परंपरा की पहचान है
साहिबगंज : संथाल एवं आदिवासियों का पर्व सोहराय झारखंड की लोक संस्कृति और परंपरा की पहचान है। पशुधन को सम्मान देने और खेतों में अच्छी फसल होने के उपलक्ष्य में इसे उत्सव के रूप में मनाया जाता है। उक्त बातें साहिबगंज महाविद्यालय परिसर में हॉस्टल के आदिवासी छात्र द्वारा आयोजित छह दिवसीय सोहराय पर्व के समापन के मौके पर राजमहल सांसद विजय हांसदा ने कहीं।
सांसद ने कहा कि सोहराय का पर्व समाज को एकजुट करने के साथ-साथ आत्मनिर्भरता की भी सीख देती है। बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि सोहराय पर्व समाज को एकजुटता, सांस्कृतिक एवं भाषा की रक्षा की प्रेरणा देता है।
वहीं कुलपति सोना झरिया मिंज ने कहा कि सोहराय का पर्व हमें प्राकृतिक पर्यावरण को संरक्षित रखने के साथ-साथ प्रकृति से प्रेम करने की सीख देता है। यह पर्व भाई- बहन के आपसी प्रेम का भी प्रतीक है। उपायुक्त श्री निवास यादव ने कहा कि सोहराय पर्व प्राकृति को बचाने का सीख देता है। उपायुक्त ने सभी छात्र- छात्राओं को सोहराय पर्व की शुभकामनाएं भी दी।
बता दें कि पर्व के अंतिम दिन बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए थे। सभी लोग मांदर की थाप पर झूम रहे थे। मुख्य अतिथि बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम, डॉक्टर बी मरांडी, कुलपति सोना झरिया मींज भी मांदर की थाप पर जमकर झूमे।
सोहराय पर्व लेकर युवक - युवतियों समेत सभी लोगों में खासा उत्साह का माहौल देखा जा रहा था। सभी लोग अपने-अपने टोली में नाच गा रहे थे। प्रोफेसर रंजीत कुमार सिंह द्वारा अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
इस मौके पर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो.सोना झरिया मिंज, राजमहल लोकसभा सांसद विजय हांसदा, बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम, विशिष्ट अतिथि उपायुक्त रामनिवास यादव,
आरक्षी अधीक्षक अनुरंजन किस्पोट्टा, महाविद्यालय प्राचार्य विनोद कुमार, राज्यपाल मनोनीत सिंडीकेट सदस्य डॉ. रणजीत कुमार सिंह सहित महाविद्यालय के छात्र - छात्रा एवं अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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