मानव जाति और मानवता को बचाना है तो गंगा को बचाना जरूरी


Sahibganj News : नमामि गंगे के तहत विश्व महिला दिवस को गंगा संरक्षण एवं गंगा नदी जलीय जीव पर विमर्श गोष्ठी, जागरूकता अभियान, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता कार्यक्रम, गंगा महारती, महिलाओं की सहभागिता जैसे कार्यक्रमों का आयोजन साहिबगंज जिला अंतर्गत मुक्तेश्वर धाम बिजली घाट व राजमहल घाट पर कराया गया।

manav jati aur manavta ko bachana hai to ganga ko bachana jaroori

इस अवसर पर स्थानीय जनसमूह, मातृ शक्ति महिलाएं, विद्यार्थियों, जिला प्रशासन के पदाधिकारी, उपायुक्त, डीएफओ, डीडीसी, नगर परिषद अध्यक्ष, नमामि गंगे के गंगाप्रहरी, जिला गंगा समिति के स्थानीय पदाधिकारी मौजूद थे।

साथ ही बिहार - झारखंड के पर्यावरणविद, डॉल्फिन, गंगा, गंगा की जैवविविधता पर शोध करने वाले विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यान दिए तथा क्विज प्रतियोगिता व गंगा आरती के माध्यम से लोगों को जागरूक किया।

भूवैज्ञानिक सह एनएसएस के नोडल अधिकारी डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि लोगों में आज भी जागरूकता की कमी है। सरकारें अपना कार्य बखूबी कर रही है पर जनसमूह को भी जागरूक होने की जरूरत है।


ऐसे कार्यक्रम आगे भी करायें जायेंगे, ताकि जन- जन तक जैवबीबिधता की जानकारी पहुँच सके।वहीं गंगाप्रहरी स्पेयर हेड ( भारतीय वन्य जीव संस्थान) दीपक कुमार ने कहा कि गंगा नदी का न सिर्फ़ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है, बल्कि देश की 43% आबादी गंगा नदी पर निर्भर है।

“अगर हम इसे पूर्ण रूप से साफ करने में सक्षम हो गए तो यह देश की 43 फीसदी आबादी के लिए एक बड़ी मदद साबित होगी।  डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने कहा कि आर्थिक, धार्मिक महत्व रखने वाली जीवनदायनी नदी है गंगा। गंगा संरक्षण की चुनौती बहु-क्षेत्रीय और बहु-आयामी है और इसमें कई हितधारकों की भी भूमिका है।

राजमहल व साहिबगंज जैसे कार्यक्रम के तहत इन गतिविधियों के द्वारा लोगों को गंगा की जैव विविधता, संरक्षण, वनीकरण (वन लगाना), और पानी की गुणवत्ता कैसे ठीक हो, स्वच्छता, कचरा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण कार्यों से जोड़ा जा रहा है। लोगों के जागरूकता से ही नमामि गंगे कार्यक्रम सफल होंगें।

manav jati aur manavta ko bachana hai to ganga ko bachana jaroori

कई जीव नदी तंत्र के स्वास्थय के सूचक हैं, हम जीवों की उपलब्धता से जान सकते हैं कि नदी तंत्र कितनी स्वस्थ या गंदी है, गंगा नदी में कई प्रजातियों के जीव मौजूद हैं। जैसे – डॉल्फिन, घड़ियाल, कछुए, ऊदबिलाव आदि। 
इनके संरक्षण के लिये नमामि गंगे व भारतीय वन्यजीव संस्थान के अंतर्गत कई कार्यक्रम पहले से ही शुरू किये जा चुके हैं।

पर जनभागीदारी के बिना संरक्षण व संवर्धन संभव नहीं। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) ने अपने सर्वे (Survey) में पाया है कि मुख्य गंगा नदी के 49 फीसदी हिस्से में उच्च जैव विविधता (High Biodiversity) मौजूद है। गंगा नदी में डॉल्फिन और ऊदबिलावों समेत पानी में पाए जाने वाले जीवों की संख्या जागरूकता से बढ़ी है।

संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि यह गंगा में प्रदूषण का स्तर घटने और नदी की स्वस्थ स्थिति को दिखाता है। वहीं नमामि गंगे के तहत राष्ट्रीय सेमिनार में वैज्ञानिक पर्यावरण एवं ऑफिसर इन चार्ज जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया पटना के डॉ. गोपाल शर्मा ने गंगा के संरक्षण, उनमें मिलने वाले जलीय जीव एवं नमामि गंगे प्रोजेक्ट के इंप्लीमेंटेशन को लेकर अपनी बातों को रखा।


जबकि डॉ. डी एन चौधरी (एसोसिएट प्रोफेसर जंतु विज्ञान तिलकामांझी विश्वविद्यालय ) ने बताया कि गंगा की अस्मिता खतरे में है। उन्होंने जैव विविधता पर विस्तार से अपना व्याख्यान दिया। साथ ही डॉ. चौधरी एवं डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने क्विज प्रतियोगिता, नदी, प्रकृति, पर्यावरण एवं वन्य जीव को लेकर छात्रों में जागरूकता हेतु क्विज प्रतियोगिता का आयोजन भी कराया

 जिसमें आठ टीमों ने भाग लिया। प्रत्येक टीम में तीन सदस्य थे, जबकि तीन राउंड में यह प्रतियोगिता कराई गई। टीम का नाम भी प्रमुख नदियों गंगा, कावेरी, कोसी, ब्रह्मपुत्र आदि के नाम पर रखा गया था। भूवैज्ञानिक डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने संरक्षण, संवर्धन एवं जनभागीदारी को लेकर अपना व्याख्यान दिया।

उन्होंने कहा कि गंगा एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक धरोहर तो है ही, दूसरी ओर उपार्जन का साधन भी है। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों ने भी ये साबित किया है कि गंगाजल में कई गंभीर बीमारियों को ठीक करने की क्षमता है। गंगाजल से असाध्य रोगियों का इलाज भी किया जाता है।


इसलिए गंगा को बचाने के लिए जनभागीदारी सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। अगर गंगा साफ होती है तो उसमें फिर से कचरा ना डालें। गंगा आज जिस स्थिति में है, उसे और बेहतर करने का प्रयास करें। आज जिस तरह से गंगा साहिबगंज से दूर चली जा रही है, आने वाले समय में यह हमें सोचने को मजबूर करेगा कि पुनः गंगा साहिबगंज की ओर आएगी या नहीं।

वहीं गोपाल शर्मा ने कहा की फरक्का बैराज के कारण सबसे ज्यादा गार्ड सिलेक्शन हुआ है। जिसके कारण  गंगा की गहराई कम हो गई, और पानी कम होता जा रहा है। दूसरी ओर गंगा रिवर फ्रंट कंक्रीट का उपयोग करना, अंडर ग्राउंड वाटर रिचार्ज एवं पानी को भी नुकसान पहुंचाएगा।

इसमें पानी को सूखने वाला कोई वैकल्पिक व्यवस्था देनी चाहिए थी। वही डॉ. डी एन चौधरी ने कहा कि साहिबगंज की गंगा अब नाले में तब्दील हो चुकी है, और यह भागलपुर से भी बदतर स्थिति में पहुंच गई है। अतः हम सरकार से यह उम्मीद करते हैं कि जल्द से जल्द गार्ड की सफाई कराई जाएगी,


और आम जनता, गंगा किनारे में रहने वाले आम लोग, गंगा में कूड़ा कचड़ा ना करें, ना खुद गंदगी फैलाएं और ना दूसरे को फैलाने दें। साथ ही कुछ समय गंगा किनारे श्रमदान कर गंगा की सफाई में सकारात्मक मदद करें। सेमिनार देर शाम तक चली एवं क्विज प्रतियोगिता कराई गई। जिसमें दर्जनों छात्रों ने, महाविद्यालय के एनएसएस, भूविज्ञान, एवं अन्य विषयों के छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। 

सेमिनार में मुन्ना कुमार दास, रंजन कुमार, संतोष कुमार मंडल, लोकेन हेंब्रम, अमन कुमार होली, खुशीलाल पंडित, मनीष कुमार गुप्ता, मनीष कुमार, मणिकांत मंडल, आेमाल मंडल आदि ने भाग लिया। कार्यक्रम में गंगा प्रहरी ने भी अपना अहम योगदान दिया।

एनएसएस की सफूरा इकबाल ने गंगा नदी एवं डॉल्फिन पर अपनी बात रखते हुए कहा कि हम गंगा को प्रदूषित ना करें, ना किसी को करने दें। ताकि डॉल्फिन, जो हमारे राष्ट्रीय जीव एवं वन जलीय जीव हैं। उसे बचाएं और उनकी जैव विविधता को बचाएं।


तभी हमारा मानव जाति  बचेगा, और मानवता को बचाने के लिए गंगा को बचाना बहुत जरूरी है। गंगा और गंगा के जीवों पर लंबे समय तक कार्य करने वाले विशेषज्ञ सुभासिष डे ने  महिलाओं को केंद्र में रखकर अपनी बातें कहीं और कहा कि गंगा को बचाना है तो महिलाओं को भी आगे आना होगा।

Sahibganj News के साथ WhatsApp, Telegram पर जुड़े और पाए डायरेक्ट खबर अपने मोबाइल पर, whatsapp पर क्लिक करके जुड़ें

(Note:- जो लोग साहिबगंज न्यूज़ के ग्रुप 1, 2, 3, 4 और 5 से जुड़ें है वो लोग इस ग्रुप में ज्वाइन नहीं होंगे, चूँकि सभी ग्रुप में एक साथ एक ही न्यूज़ प्रसारित होगा)
By : Sanjay Kumar Dhiraj

0 Response to "मानव जाति और मानवता को बचाना है तो गंगा को बचाना जरूरी"

Post a Comment

साहिबगंज न्यूज़ की खबरें पढ़ने के लिए धन्यवाद, कृप्या निचे अनुभव साझा करें.

Iklan Atas Artikel

Iklan Tengah Artikel 2

Iklan Bawah Artikel