हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर ऑनलाइन विमर्श गोष्ठी का आयोजन : राज्यों से पत्रकारों ने की शिरकत
Sahibganj News : आज हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर गूगल मीट के माध्यम से हिंदी पत्रकारिता दिवस की वर्षगांठ पर विमर्श गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें देश भर के सौ से अधिक हिंदी भाषी कवियों, रचनाकारों औऱ पत्रकारों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ और कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पश्चिम बंगाल सिल्लीगुड़ी से गरिमा चौहान ने बताया कि आज ही के दिन हिंदी की प्रथम पत्रिका उदंड मार्तंड का प्रकाशन हुआ था। जो हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ।
आगे चलकर गुलाम भारत में बहुत सारे हिंदी के कलमकारों ने अपनी लेखनी और पत्रकारिता के जरिए अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए थे और ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया और लोगों में क्रांति का संचार किया।
झारखंड के साहिबगंज से अमन कुमार होली (कार्यक्रम संयोजक) ने अपनी बातों को रखते हुए बताया कि "उदंड मार्तंड" का पहला प्रकाशन 30 मई 1826 ईस्वी को पंडित जुगल किशोर जो कि पेशे से एक वकील थे, उन्होंने कोलकाता से किया था।
इससे पूर्व बंगाल में अंग्रेजों के आने के बाद अंग्रेजी, बंगाली व फारसी भाषाओं में समाचार पत्र निकलती थी। क्योंकि उस वक्त हिंदी समाचार पत्रों के पाठक अधिक नहीं थे। इस वजह से इसे सप्ताहिक रखा गया था और यह हर मंगलवार को ही प्रकाशित हुआ करती थी।
वर्तमान परिदृश्य की बात करते हुए उन्होंने बताया कि लोकतंत्र में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ का दर्जा दिया जाता है और इस चौथे स्तंभ के निर्माण में हिंदी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। इसका श्रेय उदंड मार्तंड को जाता है।
उड़ीसा भुवनेश्वर से अमनदीप ने अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि "वर्तमान दौर में हिन्दी पत्रकारिता में बहुत क्रांति आई है। फलस्वरूप हम अपने अधिकारों और जन समस्याओं को पत्रकारिता के जरिए सरकार तक पहुंचा रहे हैं, और इसमें हिंदी भाषा का बहुत योगदान है।
अरुणाचल प्रदेश पासीघाट से बाजप लोंबी ने बताया कि जबसे हिन्दी पत्रकारिता ने अपना पैर फैलाना शुरू किया, तब से लेकर अब तक जनमानस के पटल पर पत्रकारिता जगत के प्रभात नक्षत्र के तौर पर विराजमान है, और दिनोंदिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है, और अंग्रेजी के जमाने में भी विद्यार्थियों , नागरिकों एवं देश की पहली पसंद हिंदी पत्रकारिता जगत ही है।
मध्य प्रदेश के उज्जैन से जितेंद्र पवार ने बताया कि आज चाहे पूर्वोत्तर भारत हो, या पश्चिम उत्तर भारत, दक्षिण भारत हो या मध्य भारत हर जगह वातावरण हिंदीमय हो गया है।
ज्ञात हो कि अंग्रेजों के जमाने में क्रांति हेतु उदित सूर्य की भांति पत्रकारिता जगत को प्रकाशमान करता हुआ हिंदी इस उच्च शिखर को प्राप्त करेगा यह असंभव ही लगता था। लेकिन आज ये संभव हुआ है, हिंदी पत्रकारों के अथक परिश्रम औऱ प्रयास से।
इसके साथ ही दर्जनों लोगों ने अपने - अपने विचार रखे। अंततः हिंदी पत्रकारिता जगत में अपना योगदान देने वाले महान सेनानियों, पत्रकारों के योगदान को नमन करते हुए सिल्लीगुड़ी से दियाशा चक्रवर्ती ने कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।
इस कार्यक्रम में पूर्णिमा सरकार रिका राय, प्रेयसी नंदा, प्रियंका कुमारी, आद्या कुमारी, श्रेजा आनंद, अंजली केसरी, मोनिका शर्मा टिप्सी, निहारिका श्रीवास्तव, दिपाली सिंह, नाव्या गुप्ता, किरण कुमारी, बबीता प्रसाद, तनुश्री चक्रवर्ती, पल्लवी कुमारी,
निखिल पटेल, आकाश तिवारी, मोहन सिंह, नामवर प्रताप, उदय चोपड़ा, जय प्रकाश गुप्ता, विकास साह, मनीष साह, आनंद बर्मन, राजीव शुक्ला, आनंद पांडे, नाहिद हसन सहित बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, त्रिपुरा आदि राज्यों के सैकड़ों की संख्या में लोगों ने सक्रिय रुप से भाग लिया।
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