बड़ा सवाल : भ्रष्टाचार की जांच से क्यों बौखलाई बीजेपी


Jharkhand : पिछले दिनों राज्यसभा चुनाव में गड़बड़ी के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को अभियुक्त बनाये जाने और रघुवर राज में कांची नदी पर बने पुल के टूटने पर जांच का आदेश दिए जाने से झारखंड प्रदेश बीजेपी बुरी तरह बौखला गयी है.

BJP stunned by corruption investigation

आलम ये है कि कल तक 'सांच को आंच नहीं' जैसा डायलॉग देने वाले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास से लेकर, झारखंड में आये दिन मुख्यमंत्री बदलने का दम भरने वाले बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे सरीखे बीजेपी के बड़े नेता अब अधिकारीयों को ही डराने धमकाने पर उतारू हो गए है.

बीते दिनों राज्यसभा चुनाव 2016 में धांधली के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को अप्राथमिक अभियुक्त बनाये जाने के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास तक ने राज्य के अधिकारियों को धमकाते हुए कहा था कि जो अधिकारी यह सोच रहे हैं कि अभी गंदगी फैला लेंगे और 2024 तक रिटायरमेंट के बाद आराम की जिंदगी बसर करेंगे, तो यह उनकी भूल है.

वहीं अब बीजेपी के बयान बहादुर सांसद निशिकांत दुबे ने भी राज्य के अधिकारीयों को खुलेआम 'दिल्ली पोस्टिंग' का इंतजार करने की धमकी दी है. निशिकांत दुबे ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी के इशारे पर नाचने वाले अधिकारियों के लिए सबक़ क़ानून के अनुसार चलिए, क़ानून सम्मत काम करिए नहीं तो दिल्ली पोस्टिंग का इंतज़ार करिए.


इधर, झामुमो ने सांसद निशिकांत दुबे और रघुवर दास पर नाराजगी जतायी है. झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने सांसद निशिकांत सूबे के बयान पर कहा कि सांसद का बयान संवैधानिक व्यवस्था पर आघात है. एक भ्रष्टाचार के मामले में उनका ऐसा बयान देना ठीक नहीं.

यह राजनीतिक वाचालता की पराकाष्ठा है. हाइकोर्ट इस बयान पर उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करे. कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे ने भी कहा कि सांसद कानून सम्मत कार्रवाई में सहयोग करें. धमकी देना बंद करें.

सुप्रियो भट्टाचार्य के मुताबिक राज्यसभा चुनाव प्रकरण में पुलिस जांच कर रही है. अभियुक्त बनाये जाने पर पूर्व सीएम रघुवर ने भी अधिकारियों को धमकी दी है. कहा है कि 2024 के बाद अफसरों पर कार्रवाई की जायेगी. कार्यपालिका, सिस्टम को इस तरह धमकी दिया जाना गंभीर मसला है.


पीएम, गृह मंत्री को इस पर संज्ञान लेना चाहिए. ऐसे में बड़ा सवाल है कि कल तक 'सांच को आंच नहीं' का डायलॉग देने वाले बीजेपी नेता आज 'जांच भर से' क्यों तिलमिला गए है? भ्रष्टाचार की जांच से बौखलाई बीजेपी, क्या अब खुलेआम धमकी पर उतर आई है? जब बीजेपी नेताओं ने कुछ गलत किया ही नहीं है, तो जांच भर से इतना क्यों घबरा रही है बीजेपी?

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