मौत के इंतजार में बैठी एक बूढ़ी मां
Sahibganj News : बरहेट प्रखंड क्षेत्र के एक दर्दनाक दास्तां कोरोना काल में इस वक्त सबसे ज्यादा बुजुर्गों को देखभाल की जरूरत है. खुद सरकार के गाइडलाइन के तहत यह आदेश जनता के नाम संदेश हैं.
लेकिन इससे उन अपनों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है, जिन्हें लगता है कि 80 साल की बुजुर्ग मां अब सभी के लिये बोझ बन गई है. ये मामला बरहेट प्रखंड के सनमनी गांव का है.
सनमनी गाँव के पहाड़ टोला निवासी जैतून बेवा पति स्वर्गीय जहादाली मोमिन अपने एक कुटिया मे बरसों से अपने जीवन व्यतीत कर रही है.
पति के मर जाने के बाद वह दूसरे के घरों में बर्तन झाड़ू पोछा लगा कर अपनी गुजारा कर लेती थी लेकिन अभी आलम यह है कि अपना ही काम करने के लिए असमर्थ है.
बूढ़ी मां अपने कुटिया पर बरसों से बीमार है, उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि कितने दिनों से सजी - धजी नहीं होगी उनके कपड़े के मैले साफ इस बात को जाहिर कर रही है की इस दुनिया में उनके सिवा और कोई नही है.
आस - पड़ोस के लोग कभी - कभी उन्हें बचा हुआ खाना पहुंचा देते हैं, वही ग्रामीणों में मुमताज अंसारी राजू अंसारी, एकरामुल अंसारी ने बताया कि बूढ़ी मां की एक पोती है जो गांव में ही शादी हुई है.
जो कभी - कभी आकर उनका सेवा सत्कार कर देती है. लेकिन ससुराल के देखभाल के कारण उनके साथ अपने जीवन निर्वाह नहीं कर पा रही है.
बूढ़ी मां को पूछने पर बताई की मुझे इस घर में ही मरना है, फिलहाल बूढ़ी मां के पास खाने के लाने पढ़े हुए हैं सरकारी लाभ के तहत उन्हें वृद्धा पेंशन प्राप्त है लेकिन वृद्धावस्था और फिंगरप्रिंट काम नहीं करने के कारण बैंक से निकासी नहीं हो पा रही है.
साथ ही ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें बाबा साहब आवास प्राप्त हुआ है जो उनके ही जमीन पर बनकर तैयार है लेकिन उसका लाभ नहीं ले रही है.
अब यह समझ के परे हैं कि इस हालत में बूढ़ी मां को मदद कौन करें उनकी बाकी जो जिंदगी बची हुई है उनके बुढ़ापे का सहारा कौन बने. ग्रामीणों ने इस विषय पर विभाग से मदद की अपील की है.
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