वक्त का मंज़र : मानव तू अपने आप को बड़ा समझता है : रचना - अमन कुमार होली


वक्त का मंज़र

वक्त का मंज़र : मानव तू अपने आप को बड़ा समझता है : रचना - अमन कुमार होली

मानव तू अपने आप को बड़ा समझता है,

हर गलतियां कर खुद को खरा समझता है,

ज़रा वक्त का यह मंज़र देख..


तेरी ही करनी है यह,

चाहे बवंडर हो या तूफान,

या घिर आए कोई आपदा-निशान।

ज़रा वक्त का यह मंज़र देख..


क्या कहूं निःशब्द हूं ?

हर लब्ज से खामोश हूं ?

ज़रा वक्त का यह मंज़र देख..


प्रकृति की आगे किसी की चलती नहीं,

और वक्त है कि यूं ही ढलती नहीं।

ज़रा वक्त का यह मंज़र देख..


✍🏻अमन कुमार होली
स्वरचित मौलिक रचना ©
जिला:- साहिबगंज झारखंड।

aman kumar holy


0 Response to "वक्त का मंज़र : मानव तू अपने आप को बड़ा समझता है : रचना - अमन कुमार होली"

Post a Comment

साहिबगंज न्यूज़ की खबरें पढ़ने के लिए धन्यवाद, कृप्या निचे अनुभव साझा करें.

Iklan Atas Artikel

Iklan Tengah Artikel 2

Iklan Bawah Artikel