साहिबगंज पहाड़ क्षेत्र के आदिम जनजाति झरने का पानी पीने को विवश व बिजली से कोसों दूर
यहां आदमी व जानवर एक ही झरने का पीते हैं पानी, गांव में बिजली नहीं पहुंचने के कारण अंधेरे में ही आदिम जनजातियों का जिंदगी रही है गुजर
Sahibganj News : झारखंड गठन के 21 साल बीत जाने के बाद भी साहिबगंज जिले के आदिम जनजाति पहाड़िया गांवों की स्थिति दयनीय है।
साहिबगंज बरहेट प्रखंड मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर सनमनी पहाड़ के तलहटी में बसा आदिम जनजाति बाहुल्य गांव सहित आस पास गाँवो के लोग अब भी झरना का पानी पीने को विवश हैं।
गांव के ग्रामीण के साथ इसी झरना से यहां के पशु भी अपनी प्यास बुझाते हैं। गाँव के सुरेश मालतो के मुताबिक गांव में एक साल पुर्व पेयजल टंकी को लेकर बोरिंग किया गया था लेकिन अब तक विभाग के लापरवाही के कारण पहाड़ के लोग झरने के पानी पीने को विवश है।
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दुसरी ओर गाँव के लोगो के घर तक़ बिजली अब भी नही पहूंचा है। जहा दुनिया डिजिटल हो रहा है वही
आदिम जनजाति पहाड़िया लोग अंधरे मे जिवन व्यतीत कर रहा है। ग्रामीणों मे मैसा पहाडिया, धर्मा पहाडिया, बांद्रा पहाडिया, हुयूया मलतो,
आदिम जनजाति पहाड़िया लोग अंधरे मे जिवन व्यतीत कर रहा है। ग्रामीणों मे मैसा पहाडिया, धर्मा पहाडिया, बांद्रा पहाडिया, हुयूया मलतो,
रमेश पहाडिया, सुरेश माल पहाडिया का कहना है कि गांव में पेयजल और बिजली की गंभीर समस्या है। पीने के पानी के लिये 2 किलोमीटर पैदल चल कर झरने का पानी पीने के लिये लाते है। अब तक़ गाँव मे बिजली के खंभे भी नही गड़ा है।
बिजली की तो दुर की बात है। गाँव के प्रधान ने गांव व ग्रामीणों की समस्याओं से आलाधिकारियों को अवगत कराकर इसके निदान की मांग लगातार कर रहे हैं। आनेवाले दिनों में गांव की समस्याओं का निदान शीघ्र होगा।
ग्रामीण लंबे अरसे से इस इंतजार में बैठे हैं कि कोई आला अधिकारी हमारे समस्याओं का निदान करने पहुंचेंगे, जहां शनिवार को साहिबगंज न्यूज़ संवादाता क्षेत्र भ्रमण के दौरान उबड़ - खाबड़ रास्ते को तय करते हुए आदिम जनजातीय पहाड़ियों के बस्ती तक पहुंच कर उनके समस्याओं को सुना। और सभी समस्याओं खबर के जरिए से जल्द निदान कराने को लेकर आश्वासन भी दिया है।
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