16 करोड़ के इन्जेक्सन के इंतजार में नूर ने दम तोड़ दिया
बीकानेर : बीकानेर की मात्र सात माह की फातिमा नूर दुर्लभ बीमारी से लड़ रही थी। उसके माता पिता ने सोशल मीडिया के माध्यम से एक कैंपेन के जरिए दो महीने में 40 लाख रु. ही जुट पाए थे। समय पर इंजेक्शन नहीं लगने से उसकी जान चली गई।
ज्ञात हो कि करोड़ों बच्चों में किसी एक को होने वाली उस बीमारी के इलाज के लिए बीकानेर की नूर फातिमा को 16 करोड़ रुपए का एक इंजेक्शन लगना था। परिचितों ने इस बेटी को बचाने के लिए दो महीने पहले से ही जन सहयोग से धन एकत्र का सिलसिला शुरू किया।
अभी 40 लाख रुपए ही एकत्र हुए थे कि नूर फातिमा ने मंगलवार को दम तोड़ दिया। इस बच्ची के लिए फंड जुटाने के लिए बॉलीवुड हस्तियों ने भी पहल की थी। इस बच्ची को एसएनएम नामक बीमारी हुई थी। इसके इलाज के लिए जोलगेन्स्मा नामक इंजेक्शन लगाया जाता है।
इसकी कीमत 16 करोड़ रुपए है। सामान्य परिवार से आने वाले नूर फातिमा के पिता जिशान के लिए इतनी बड़ी राशि जुटाना संभव नहीं था। ऐसे में उनके परिजनों और मित्रों ने जन सहयोग से रुपए जुटाने का सिलसिला शुरू किया।
सोशल मीडिया के माध्यम से जब अपील का दौर शुरू हुआ तो चालीस लाख रुपए एकत्र भी हो गए। लेकिन यह राशि 16 करोड़ रुपए की जरूरत को देखते हुए बेहद कम थी। ऐसे में नूर को समय पर यह आवश्यक इंजेक्शन नहीं मिलने की वजह से उसकी तबीयत बिगड़ती चली गई और मंगलवार सुबह उसने दम तोड़ दिया।
नूर पैदा होने के साथ ही शरीर के एक हिस्से का संचालन नहीं कर पा रही थी। जयपुर के जे.के. लोन अस्पताल में उसका इलाज करवाया गया। जहां डॉक्टर्स ने जांच के बाद कहा कि उसे स्पाइनल मस्कूलर एनट्रोपी टाइप वन है। यह बहुत ही दुर्लभ बीमारी है, जिसका इलाज तो संभव है लेकिन बहुत महंगा है।
इसके लिए विदेश से एक इंजेक्शन मंगवाना पड़ेगा, जिसका नाम जोलगेन्स्मा है और इसकी कीमत साेलह करोड़ रुपए है। इस इंजेक्शन से उसके शरीर के अन्य हिस्से काम शुरू कर सकते थे। इसी इन्जेक्सन के अभाव में नूर ने दम तोड़ दिया। आखिरकार शासन - प्रशासन और सरकार की गलत नीति ने नूर के परिजनों को बेनूर कर दिया।
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