तंबाकू छोड़ो : जीवन से रिश्ता जोड़ो | रचना - खुशीलाल पंडित


तंबाकू छोड़ो : जीवन से रिश्ता जोड़ो



तंबाकू छोड़ो खुश रहो 

इसने सबको बिगाड़ा है।

कौन तुम्हें समझाएगा 

तुम्हारा जान कितना प्यारा है।


छोटी - छोटी पुड़ियों मे तुम

जहर को निगले जा रहे हो।

अपने सुख के जीवन को तुम

मौत से मिलवा रहे हो।


यह मत सोचो तंबाकू खा के

माँ - बाप को धोखा दे रहे हो।

अपने जीवन के पल को तुम

अंदर ही अंदर खो रहे हो।


युवाओं में नशे की समस्या

आजकल बहुत गंभीर है।

नशे के चंगुल में फंसकर

अपने से हो रहे दूर हैं।


कोई याद मिटाने को पीता

तो कोई शौक दिखाने को।

कोई नशे मे धुत्त होकर

अपने आप को बड़ा बताने को।


 तंबाकू के ऊपर लिखा हुआ है

 यह हानिकारक - जानलेवा है।

 फिर भी इसे खाते हो तुम

क्या अब नहीं तुम्हें जीना है। 


तो छोड़ो इन आदतों को

 तंबाकू का विरोध करो।

आओ सब मिलकर अब

दुनिया को निरोग करो !

आओ सब मिलकर अब

दुनिया को निरोग करो।


  स्वरचित कविता
✍️खुशीलाल पंडित
    साहिबगंज महाविद्यालय साहिबगंज

khusilal pandit

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