कैफ उसके सुंदरता के बारे में यक़ीनन उससे ज्यादा जानता है | रचना - कैफ़ अंसारी
मैंने इसे कुछ उसकी सुंदरता जो सिर्फ आयना उसकी प्रतिबिंब बना कर खारिज़ कर जाती है,उसके सुंदरता का सही दर्पण नहीं दे पाती से जोड़ने का प्रयास किया है। पूरा पढ़िए उम्मीद है आपको अच्छा लगेगा।
कैफ उसके सुंदरता के बारे में यक़ीनन उससे ज्यादा जानता है
कैफ उसके सुंदरता के बारे में यक़ीनन उससे ज्यादा जानता है।
आयना उसकी प्रतिबिंब बना कर उसकी सुंदरता को खारिच कर देती है।
वकिफ हूँ यूँ सुंदरता उसके मन के पृष्ठों पर अनेकों आयाम से प्रीत है।
जिस तरह उसके सौंदर्य को मैं देख पाता हूँ वो खुद को भी नहीं देख सकती।
नहीं कभी नहीं
आईने में भी नहीं।
मेरा प्रेम उसे अपनी सुंदरता का सही दर्पण कराएगा बस आयने की तरह उसकी परछाई नहीं दर्शित करेगा।
मेरे प्रेम में वो अंदर तक झांक ना पाई।
वो चंचल प्रेम का तिरस्कार क्या है समझ ना पायी।
तिरस्कृत प्रेम में कुछ ना कर पाने की विवशता में उसकी कहीं बातों और उसको अपने मन की धुन बनाकर गाता रहता हूँ,
एकटक उसे देखता हूँ एक अछुत आह में और फिर खो जाता हूँ उस भीतर के मन में।
****
स्वरचित कविता
जामिया सीनियर सेकेंडरी स्कूल, दिल्ली
0 Response to "कैफ उसके सुंदरता के बारे में यक़ीनन उससे ज्यादा जानता है | रचना - कैफ़ अंसारी"
Post a Comment