बिजली गर्जना करे तो पेड़ के नीचे कभी नहीं जाना चाहिए : डॉ रणजीत कुमार सिंह
Sahibganj News : राष्ट्रीय सेवा योजना व यूनिसेफ झारखंड के संयुक्त तत्वावधान में आपदा प्रबंधन, बाढ़, वज्रपात एवं थंडर स्टॉर्म विषय पर एक दिवसीय वेविनार का आयोजन किया गया।
इसमें एनडीआरएफ व मौसम वैज्ञानिक के द्वारा आपदा प्रबंधन के द्वारा बाढ़ व वज्रपात से बचाव में एनएसएस एवं एनसीसी के वालंटियर को प्रशिक्षित एवं तकनीक के बारे में सिखाया गया। बाढ़, बज्रपात में हम अपने आपको कैसे बचाएं, इस विस्तार से जानकारी साझा किया गया।
बेविनार में बताया गया कि बाढ़ आने के पहले ही अपने आसपास की जगह की साफ सफाई रखें, घरों के आसपास जलजमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप रहता है, इससे बचने और अपने मवेशियों को बचाने के लिए नीम के पत्ते का धुआं करें, सरसों के तेल का इस्तेमाल करें।
बाढ़ के पानी में ना जाएं, अगर जाने की जरूरत भी हो तो पानी की गहराई, जहरीले जीवजंतुओं से सुरक्षा का ख्याल रखें, करंट लगने से बचने के लिए बिजली के पोल और तारों आदि से दूर रहें। पका हुआ ताजा खाना खाए, खाने को ढंक कर रखें, पानी को गर्म करके इस्तेमाल करें।
बाढ़ की चेतावनी मिलने पर अपना पासपोर्ट, जमीन - मकान, जरूरी कागजात, आधार कार्ड व राशन कार्ड, मतदान पहचान पत्र, बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र, वृद्ध अथवा विधवा पेंशन कार्ड, जनधन खाते का पासबुक आदि इसको प्लास्टिक के थैलों में रखकर सुरक्षित आपातकालीन किट में रखें।
बुजुर्ग, दिव्यांग, गर्भवती महिलाओं को पहले सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की व्यवस्था करें। ऊंचे वाले स्थान, आश्रम या स्थल को चिन्हित कर वहां पर व्यवस्था रखें। बच्चे के भोजन का विशेष ख्याल रखें।
शुद्ध पानी का सेवन करें, ओआरएस के घोल का इस्तेमाल करें, फिर भी अगर कुछ समस्या हो तो आशा जीविका दीदियों से संपर्क करें, साथ ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जानकारी प्राप्त करें।
कार्यक्रम में राज्य के सोलह जिले के दो सौ से अधिक एनएसएस व एनसीसी कैडेट्स जुड़े रहे। कार्यक्रम में रांची विश्ववद्यालय की कुलपति डॉ. कामिनी कुमार, राज्य के समन्वयक डॉ. ब्रजेश कुमार, विनय टुडू, शंकर, खुशीलाल पंडित, दिव्यांशु, कनक, सुषमा, रागनी, साहिल, मानसी आदि उपस्थित थे।
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