रक्षासूत्र में बंधकर आत्मिक स्नेह के साथ एक दूसरे की सुरक्षा की गारंटी देने के उत्सव का नाम है रक्षाबंधन


Sahibganj News : ईश्वर की शपथ लेकर शाश्वत प्रेम की स्वाभाविक अभिलाषा के साथ पवित्रता की प्रतीज्ञा का धागा में बंधकर आत्मिक स्मृति का तिलक लगाकर और मिठाई खाकर जब हम अपने मन, कर्म, वचन से अपने ज्ञान,

रक्षासूत्र में बंधकर आत्मिक स्नेह के साथ एक दूसरे की सुरक्षा की गारंटी देने के उत्सव का नाम है रक्षाबंधन

प्यार, शक्ति, सुरक्षा से आच्छादित शब्दाक्षरों का किसी को तोहफा देते हैं तो ऐसे महान उत्सव को ही रक्षाबंधन कहते हैं। यद्यपि इस दुनिया में बहन - भाई का रिश्ता सबसे पवित्र होता है।





यह श्लोक रक्षाबंधन का अभीष्ट मंत्र है

'येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल। 
तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल'

अर्थात जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधती हूं, यह तुम्हारी रक्षा करेगा और संकट में तुम मेरी रक्षा करना।

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