सरकार राज्य के सभी जिलों में सभागृह, नाट्य सभागृह या सभागार का निर्माण कराए : फ़िल्म निर्देशक एन. एस. भारती


युवा फिल्म निर्देशक एन.एस.भारती ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पर्यटन,कला संस्कृति हफिजुल हसन को पत्र लिखा। पत्र में एन.एस. भारती ने लिखा की 15 नवंबर 2021 को झारखंड राज्य के 21 वर्ष पूरे हो गए हैं, किन्तु इस दो दशक के दौर में झारखंड की कला संस्कृति, साहित्य एवं स्थानीय सिनेमा अज भी अपनी पहचान को लेकर संघर्ष करती दिखाई पड़ती है।

सरकार राज्य के सभी जिलों में सभागृह, नाट्य सभागृह या सभागार का निर्माण कराए : फ़िल्म निर्देशक एन. एस. भारती





आगे उन्होंने लिखा है कि...

सरकार एक कमिटी का निर्माण कर झारखण्ड के क्षेत्रीय कलाकरों का उनके कृतियों के आधार पर उनका चयन करें और उनके जीवन- यापन के लिए एक पेंशन तय करें, ताकि क्षेत्रीय कलाकरों को मुलभुत ज़रूरतों को पूरा करने हेतु दरबदर की ठोकरें न खानी पड़े।

झारखंड की मूल संस्कृति की पहचान छठ- पर्व और सरहूल से है। इसलिए इन दोनों त्यौहारों को कला से जोड़कर संरक्षित करने की दिशा में पहल की जाय। महाराष्ट्र, पंजाब, बंगाल, दक्षिण भारत, यूपी, बिहार आदि राज्यों की तरह झारखंड में बनने वाली क्षेत्रीय फिल्मों को मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन सिनेमा घरों में प्रमुखता के साथ प्रदर्शित किया जाए।


इसके लिए मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन सिनेमा घरों के लिए सख्त नियम बनाए जाएं। ग्रामीण क्षेत्र में सिनेमा हॉल नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्र के सिनेमा प्रेमियों को सैकड़ों  किलोमीटर से भी अधिक दुरी की सफ़र तय कर के फिल्म देखने के लिए शहरों तक आना पड़ता है।

ग्रामीणों को फिल्म देखने के लिए शहरों तक नहीं आना पड़े इसके लिए कमिटी का गठन कर प्रखंड स्तर पर मिनी सिनेमा हॉल बनाने की जरुरत है। प्रखंड स्तर पर सिनेमा हॉल बनने से क्षेत्रीय फिल्मों को बढ़ावा मिलेगा और फिल्म बनाने वाले निवेशक बढ़चढ़ करके यहां निवेश कर सकेंगे।

उन्होंने लिखा है कि झारखंड में वर्षों से क्षेत्रीय भाषा मे एल्बम, फ़िल्म, डॉक्यूमेंट्री, लघु फ़िल्म बनाया जाता रहा है, किन्तु उचित संसाधन नही मिलना, सही समय पर फ़िल्म प्रदर्शित के लिए सिनेमा हॉल नही मिलने से क्षेत्रीय सिनेमा उपेक्षित है और इसी कारण स्थानीय फ़िल्म मेकर फ़िल्म निर्माण को लेकर आगे आना नही चाहते हैं।

जबकि राज्य के प्रतिभाओं ने अपने टैलेंट से देश - विदेश में जाकर अपना लोहा मनवा चुके हैं। झारखंड भारत के दुसरे कश्मीर के सामान है। जहां प्रकृति ने अपने सौंदर्य का खजाना जम कर बरसाया है।


घने जंगल, खूबसूरत वादियां, जलप्रपात, वन्य प्राणी, खनिज संपदाओं से भरपूर और कला संस्कृति से परिपूर्ण है। ऐसे में राज्य में फ़िल्म सिटी बनने से टूरिजम के व्यापार में बढ़ोतरी होगी साथ ही प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोग अपने राज्य में ही रोजगार कर सकेंगे।

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