मेहरमा के विभिन्न गांवों में गरीबों का नही बनता है राशनकार्ड जबकि नजराना के शह पर तुरंत बनता है राशनकार्ड



मेहरमा के विभिन्न गांवों में गरीबों का नही बनता है राशनकार्ड जबकि नजराना के शह पर तुरंत बनता है राशनकार्ड





लेकिन मामला कई बार सामने आने के वावजूद किसी डीलर पर कार्रवाई नही हुई है, जो यह बताने के लिए काफ़ी है की यहां राशन कार्ड बनवाने के लिए किस प्रकार का लूट - खसोट का खेल चल रहा है। ग्रामीण बताते हैं कि नाम जुड़वाने व नया राशनकार्ड बनाने को लेकर भी कई बार मेहरमा एमओ के पास ऑनलाइन स्लिप जमा किया गया, लेकिन ऑनलाइन स्लिप पर किसी प्रकार का ध्यान नही दिया जाता है।

अब सवाल ये है कि जब एमओ द्वारा काम नही होता है और नजराना के शह पर काम हो जाता है, तो इससे आप क्या समझेंगे? हालांकि इस तरह की बातों की जानकारी गोड्डा के जिला आपूर्ति पदाधिकारी बासुदेव प्रसाद को इसके पहले भी दी गई है, लेकिन कभी भी ठोस कार्रवाही नही हुई। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में गोड्डा डिसी क्या कार्रवाही करते हैं?

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राधेश्याम यादव

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