आज के ज्वलंत मुद्दों पर आधारित अमन कुमार की खास कविता : 'हिजाब बनाम भगवा गमछा', "देश मेरा जल रहा है"


हिजाब बनाम भगवा गमछा

आज के ज्वलंत मुद्दों पर आधारित अमन कुमार की खास कविता : 'हिजाब बनाम भगवा गमछा', "देश मेरा जल रहा है"

देश मेरा जल रहा है, अब आग ही आग है,

लगता है रूठ रहा देश का ही भाग्य है।

विद्यालय बन रहे हैं, राजनीति के अखाड़े,

भविष्य में सेंध लगा, यह देश का दुर्भाग्य है।

विश्व गुरु बनने चला था भारत


लगता है अधरों पर अब लटका पड़ा है।

कहीं काला बुर्खा, कहीं भगवा गमछा,

देश का युवा अब इसी भंवर में अटका पड़ा है।

अनेकता में एकता का बागीचा,


लगता है अब मुरझा रहा है।

कौमी एकता सौहाद्र का दीप,

जानें कौन बुझा रहा है ?


सुलग रही है अब सियासत,

कौन हमें भरमा रहा है?

यह मज़हब, यह धर्म में कट्टरता ही,

माहौल देश का गर्मा रहा है।


हिजाब और भगवा गमछे पर राजनीति,

अब देश में बंद हो, 

कॉलेजों और स्कूलों की पढ़ाई,

कौम हमारा धर्म से स्वछंद हो।


एक ही बेंच पर बैठे सलमा - श्याम हो,

गणवेश अनिवार्य हो स्कूलों में,

इस पर ना कोई राजनीति बयान हो,

स्कूलों और कालेजों में ना सिख ना ईसाई,


ना हिन्दू और ना ही कट्टर मुसलमान हो।

देश की प्रगति पर अब हमारा ध्यान हो,

सौहार्द एकता ही हमारा एक मात्र अभियान हो।


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