मिलिए कलयुग के श्रवण कुमार से जो अपने माता - पिता को कांधे पर बिठाकर सुल्तानगंज से देवघर को हुए रवाना
Bihar :-- विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला की पहली सोमवारी पर मुंगेर जिला के कच्ची कांवरिया मोड़ कमराय के समीप एक कलयुगी श्रवण कुमार अपने लाचार और वृद्ध माता - पिता को भगवान मानकर तीर्थ यात्रा पर देवघर के लिए रवाना हुए। जहानाबाद के बीरपुर तिवारी के रहने वाले चंदन कुमार के मन में ख्याल आया कि क्यों न अपने माता - पिता को तीर्थाटन करवाया जाए। बस इसके बाद ही अपनी पत्नी एवं अपने तीन बच्चों के साथ मिलकर अपने माता - पिता को सुल्तानगंज से गंगा जल भर अपने कांधे पर लेकर देवघर को रवाना हो गए।
कहते हैं की "हमारी किस्मत हथेलियों के लकीरों की मोहताज नहीं होती" और इस बात को सच कर दिखाया है श्रवण कुमार ने। सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है और ना ही कोई पूजा। इस कलयुगी श्रवण कुमार यानी चंदन का अपने माता - पिता के प्रति यह आस्था अगाध प्रेम को दर्शाता है और एक संदेश देता है कि अपने माता - पिता से बड़ा कोई भगवान कोई धर्म नहीं।
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