फिर बढ़ा कोरोना महामारी का संक्रमण : इस महामारी का आतंक बरकरार
कोरोना का आतंक अगर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है, तो इस समस्या पर अलग तरह से सोचने का समय अब आ गया है। प्रतिदिन 16 हजार से ज्यादा मामलों का दर्ज होना तो चिंताजनक है ही, उससे भी ज्यादा गंभीर है एक-एक दिन में हजारों लोगों की मौत।
पिछले दिनों कोरोना का भय इसलिए कम हुआ था, क्योंकि कोरोना से होने वाली मौतें न्यूनतम हो गईं थीं। किसी भी बीमारी या महामारी का आतंक वहीं तक रहता है, जहां तक मौत की आशंका रहती है। अब अगर मौतों की संख्या बढ़ने लगी, तो फिर कोरोना का आतंक भी लौट आएगा। मौसमी तौर पर भी लोगों में अस्वस्थता बढ़ी है। खांसी - जुकाम के इस समय में कोरोना भी अस्पतालों पर दबाव बढ़ाने लगा है।
बता दें कि भारत में इस महामारी की कुल सक्रिय मामले 1,28,261से ज्यादा हो गए हैं। विशेष रूप से सात राज्यों में कोविड के मामलों में अचानक वृद्धि भारत सरकार के लिए चिंता का विषय है। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने भी सात राज्यों को सतर्क किया है। दिल्ली, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु और तेलंगाना को लिखे पत्र में इशारा किया गया है कि भीड़भाड़ वाले आयोजनों से बचा जाए।
इधर सामूहिक आयोजनों में वृद्धि देखी जा रही है, हर जगह भीड़ लौट आई है, पाबंदियां बीती बातें हो गई हैं। ऐसे में, स्थानीय स्तर पर मरीजों की संख्या देखते हुए पाबंदियों की वापसी में कोई हर्ज नहीं है।
हमें इसके रोकथाम के लिए उन स्कूलों पर भी निगाह रखनी चाहिए, जहां मौसमी समस्याओं के अलावा कोरोना के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। विशेषज्ञ लगातार चेतावनी देते रहे हैं, इसीलिए सभी को कोविड अनुकूल व्यवहार बनाए रखना चाहिए, लेकिन कितने लोग सावधान हैं?
दिगर है की शारीरिक दूरी की अनिवार्यता को खत्म समझ लिया गया है, हाथ की स्वच्छता में कमी आई है, सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना और भीड़ - भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचना कम हुआ है।
दरअसल, समस्या यही है, बीमारी के लक्षण लेकर भी लोग घूमने निकल जा रहे हैं। हाल ही में नेपाल ने संदिग्ध भारतीय पर्यटकों को लौटा दिया है और वह भारत में बढ़ते मामलों के मद्देनजर मेहमान भारतीयों पर निगाह रखता दिख रहा है।
अभी कोई देश नहीं चाहेगा कि उसके यहां बाहर से कोरोना आए। अत: जहां लक्षण वाले लोगों को यात्रा व भीड़ में जाने से रोकने की जरूरत है, वहीं अस्वस्थ महसूस कर रहे लोगों को भी घर में ही रहना चाहिए।
सरकारी दिशा-निर्देश बिल्कुल स्पष्ट हैं।
बुखार, सांस में तकलीफ, खांसी, सीने में जकड़न, बहती नाक, सिरदर्द, बीमार महसूस करना, न्यूमोनिया, किडनी में शिकायत, गंध की कमी (एनोस्मिया) या स्वाद की कमी (एजुसिया) को गंभीरता से लेने की जरूरत है। इनमें से कोई भी शिकायत होने पर कोरोना जांच की सलाह दी गई है।
कोई संदेह नहीं कि मृतकों की संख्या इसलिए भी बढ़ी होगी कि लोग जांच या इलाज में देरी कर रहे हैं।
स्पष्ट दिशा-निर्देशों के बावजूद कोरोना से किसी की जान चली जाए, तो यह बड़ी विफलता है। हम बेहतर सामुदायिकता का परिचय देते हुए स्वस्थ रह सकते हैं।
सितंबर 2020 में पहली लहर के दौरान प्रतिदिन 98 हजार मामले आ रहे थे, मई 2021 में दूसरी लहर के दौरान प्रतिदिन के मामले 4 लाख 14 हजार से भी ऊपर पहुंच गए थे। फरवरी 2022 में तीसरी लहर के दौरान 3 लाख 47 हजार के पार पहुंच गए थे।
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