रिसर्च, सामुदायिक जुड़ाव, पर्यावरण अध्ययन और मानवीय मूल्यों पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : डॉ. रणजीत कुमार सिंह


साहिबगंज :राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार स्नातक प्रथम वर्ष नामांकन हेतु, यानी नए सत्र 2022 - 26 के लिए एक कार्यशाला का अयोजन किया गया।

रिसर्च, सामुदायिक जुड़ाव, पर्यावरण अध्ययन और मानवीय मूल्यों पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : डॉ. रणजीत कुमार सिंह

अब यह 4 वर्षों का  होगा, जिसमें छात्रों को एक मेजर पेपर एवं एक इंट्रोडक्टरी पेपर का चयन करना होगा। जिसमें बहुत सारे विकल्प दिए गए हैं। इस संबंध में डॉक्टर रणजीत कुमार सिंह ने बताया कि पहले एवम दूसरे वर्ष में छात्र - छात्राओं को एक मेजर पेपर के साथ तीन इंट्रोडक्टरी पेपर लेना अनिवार्य होगा, वहीं तीसरे वर्ष छात्र - छात्राओं को उसी तीन पेपर में से एक पेपर लेना होगा, जो सेमेस्टर थ्री में होगा। उसी को लेकर विशेषज्ञों की टीम द्वारा छात्र हित में साइबर क्लासेज की शुरुआत साहिबगंज के रिफ्यूजी कॉलोनी में अयोजित किया गया। 

जिसमें मुख्य विशेषज्ञ के रूप में महाविद्यालय के भू- विज्ञान विभाग के हेड सह जिला एनएसएस नोडल पदाधिकारी डॉक्टर रणजीत कुमार सिंह, इंग्लिश विभाग की हेड प्रोफेसर सैमी मरांडी जैसे विशेषज्ञों द्वारा छात्र - छात्राओं को नई नामांकन पद्धति के बारे में जानकारी दी जाएगी, साथ ही छात्र -छात्राओं को कौन से विषय का चयन करना चाहिए, और वैकल्पिक विषय क्या होने चाहिए, ऐसी जरूरी सारी जानकारी भी दी जाएगी।

इसके पूर्व साइबर क्लासेज के निदेशक मो. मुन्ना अंसारी ने अतिथियों का स्वागत व कार्यक्रम का संचालन किया। मौके पर प्रो. सैमी मरांडी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को झारखंड के सभी सातों विश्वविद्यालयों द्वारा लागू कर दिया गया है। ज्ञात रहे की इस वर्ष यानी 2022 से यूजी प्रवेश एनईपी 2020 के तहत होंगे। सीबीसीएस प्रणाली का पुनर्गठन किया गया है, जिसे 2017 में लागू किया गया था। डॉक्टर रणजीत सिंह ने बताया कि विद्यार्थी चौथे वर्ष में शोध जारी रखना चाहते है या नहीं, इस पर निर्भर करते हुए यूजी की अवधि अब तीन या चार साल की होगी। एनईपी 2020 का जोर सामुदायिक जुड़ाव, पर्यावरण अध्ययन और मूल्य आधारित शिक्षा पर है।

 छात्र अपनी पसंद के आधार पर विषयों के पूल में से चयन करने में सक्षम होंगे। प्रथम वर्ष पूरा करने के बाद विद्यार्थियों को एक सर्टिफिकेट से सम्मानित किया जाएगा। दूसरे वर्ष के बाद विद्यार्थियों को डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा, जबकि तीसरे वर्ष के बाद विद्यार्थियों को स्नातक की डिग्री प्रदान की जाएगी और चौथे वर्ष के पूरा होने पर विद्यार्थियों को सम्मान या शोध के साथ स्नातक की डिग्री प्रदान की जाएगी। अगर विद्यार्थी पहले ही साल में अगर परीक्षा बीच में छोड़ता है तो एक साल का सर्टिफिकेट कोर्स, अगर दूसरे साल किसी कारणवश परीक्षा छूटती है तो उसे डिप्लोमा  कोर्स का एवं तीसरे साल में अगर छोड़ता है तो उसे बैचलर डिग्री दी जाएगी और 4 साल अगर वह पढ़ाई पूरा करता है तो उसे बैचलर रिसर्च की डिग्री दी जाएगी जो रिसर्च डिग्री से ही पीजी कर पाएंगे।     

 डॉक्टर रणजीत ने बताया कि यह क्रांतिकारी बदलाव का आगाज माना जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 रिसर्च को फोकस करते हुए छात्र - छात्राओं के स्वास्थ्य, कुशल कौशल, विकास एवं मानव मूल्यों का समावेश है। युवा स्वस्थ, संवेदनशील स्किल के साथ जिम्मेदार नागरिक बनें, वे राष्ट्र के प्रति सम्मान व प्रकृति रक्षक हों। अगर किसी कारणवश कोई विद्यार्थी बीच में ही परीक्षा या पढ़ाई छोड़ देता है तो वह 10 सालों के बाद भी उक्त कोर्स पूरा कर पाएंगे, एक छात्र दो- दो संस्थाओं से भी अपनी पढ़ाई कर पाएंगे। उदाहरणस्वरूप, अगर साहिबगंज महाविद्यालय से कोई भूविज्ञान विषय से स्नातक कर रहा है तो केकेएम कॉलेज पाकुड़ से वह केमिस्ट्री की भी पढ़ाई कर सकता है। अंत में विद्यार्थियों को 4 सालों तक पूरी पढ़ाई करनी होगी, वही आगे पीजी में नामांकन करा सकते हैं। 

उदाहरण के लिए अगर कोई विद्यार्थी भू- विज्ञान या जियोलॉजी पेपर मेजर पेपर के रूप में लेता है तो उसके साथ इंट्रोडक्टरी पेपर फिजिक्स, केमिस्ट्री,  मैथमेटिक्स, बॉटनी, जूलॉजी, एंथ्रोपोलॉजी, जियोग्राफी, इकोनॉमिक्स में से किसी भी विषय का चयन कर सकते हैं। जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में अब 4 साल का  ग्रेजुएशन होगा।एनएसएस और एनसीसी लेने वालों को अब प्रमाण पत्र में तीन अंक क्रेडिट दिए जाएंगे।मौके पर साइबर क्लासेज के मुन्ना अंसारी, नसीरुद्दीन अंसारी सहित नेहा सोरेन, राजश्री कुमारी, रितम कुमारी, रिंकू सोरेन, विमल, सुबोध, श्रीलाल सहित काफी संख्या में छात्र - छात्राओं ने भाग लिया।

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