अब देवघर एयरपोर्ट में भी रात को होगी फ्लाइट की लैंडिंग : आईएल सिस्टम और रडार लगाने की तैयारी शुरू ; बैंगलुरू और हैदराबाद से पहुंची विशेषज्ञों की टीम
देवघर : झारखंड के देवघर एयरपोर्ट में फ्लाइट की नाइट लैंडिंग में आ रही बाधा को दूर करने के लिए आईएल सिस्टम लगाने का काम तेजी से चल रहा है. अब देवघर एयरपोर्ट में रात्रि और कम विजिब्लिटी में फ्लाइट लैंडिंग की सुविधा बहाल के लिए रडार लगाया जाएगा. डीजीसीए और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से क्लीयरेंस मिल चुका है.
एक सप्ताह के अंदर रडार लगाने का काम चालू
एयरपोर्ट के रनवे के पास रडार लगाए जाने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए हैदराबाद और बेंगलुरु से विशेषज्ञों की टीम देवघर एयरपोर्ट आई है. रडार का इक्विपमेंट भी एयरपोर्ट पहुंच चुका है. एक सप्ताह के अंदर रडार लगाने का काम चालू हो जाएगा. एयरपोर्ट में आईएल सिस्टम और रडार लगाने में लगभग 10 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है.रडार में डॉप्लर वेरी हाई फ्रिक्वेंसी ओम्नी रेंज और हाई पॉवर डिस्टेंस मेजरिंग इंस्ट्रूमेंट लगाए जाने हैं, जिससे रात और खराब मौसम में फ्लाइट की नाइट लाइटिंग की व्यवस्था की जाएगी.रडार लगने से 200 किलोमीटर दूर से ही फ्लाइट का पता चल जाएगा. देवघर एयरपोर्ट पर सर्विलांस रडार नहीं होने से एयर ट्रैफिक कंट्रोल को कम विजिबिलिटी में विमान की स्थिति का पता नहीं लग पाता है.
कैसे काम करेगा रडार
रडार को रेडियो डिटेक्शन एंड रैंगिंग कहते हैं. यह रडार फ्लाइट की लोकेशन, डायरेक्शन आदि जानकारी रेडियो वेव्स की मदद से भेजता और रिसीव करता है. रडार में एंटीना डिप्लेक्सर, ट्रांसमीटर, फेज-लॉक लूप, रिसीवर और प्रोसेसर होते हैं.ट्रांसमीटर से हर सेकंड रेडियो वेव्स निकलती हैं. इनकी स्पीड लाइट के बराबर होती है.ट्रांसमीटर जब रेडिएशन छोड़ता है, तो रिसीवर इनको कैच करके मैप डिजाइन करता है, जिससे ये रडार के डिसप्ले पर दिखा देता है. इससे पता चल जायेगा कि रन वे पर कितनी देर में फ्लाइट लैंड करने वाली है.
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