दो साल बाद गिद्धौर के बलबल स्थित गर्म सूर्यकुण्ड में डुबकी लगाएंगे श्रद्धालुजन : 57 वर्षो से लग रहा है बलबल पशु मेला


तरा : हजारीबाग जिले के गिद्धौर प्रखंड के चतरा - हजारीबाग सीमा पर स्थित प्रसिद्ध पर्यटक स्थल एवं गर्म जलकुंड मां बागेश्वरी मंदिर बलबल में प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के मौके पर लगने वाला 10 दिवसीय पशु मेले की तैयारी चरम पर है।

दो साल बाद गिद्धौर के बलबल स्थित गर्म सूर्यकुण्ड में डुबकी लगाएंगे श्रद्धालुजन : 57 वर्षो से लग रहा है बलबल पशु मेला


कोरोना काल की वजह से 2 वर्षों तक बलबल मेला नहीं लगाया जा सका था, लेकिन अब 2023 में जोरशोर से मेले की तैयारी की जा रही है। बता दें कि इस मेले में झारखंड सहित अन्य कई राज्यों से भी कई तरह के मनोरंजन के साधन तथा लाखों सैलानी पहुंचते हैं।

ज्ञात रहे की मकर सक्रांति के मौके पर लगने वाला बलबल मेला काफी प्रसिद्ध मेला है। अबतक मेले में विभिन्न प्रकार के झूले, मौत का कुआं, बूगी बूगी, ब्रेक डांस, जादूगर सहित कई प्रकार के मनोरंजन का समान यहां पहुंच चुका है। कोरोना काल में पिछले दो वर्षों तक मेला नहीं लगने के कारण लोग काफी मायूस थे। परंतु इस बार मेला का निबंधन हो जाने के कारण इसकी तैयारी जोरशोर से चल रही है। मेला के शुभारंभ की घोषणा के बाद प्रखंड वासियों के साथ-साथ जिले व अन्य राज्यों से आने वाले सैलानी काफी उत्साहित हैं। इस मेले में मनोरंजन के साथ-साथ कई नस्लों के मवेशी व पक्षियों की भी बिक्री होती है। 

आपको बताते चलें कि बलबल पशु मेले की शुरुआत 1965 में चतरा के पूर्व भाजपा विधायक महेंद्र सिंह भोक्ता के नेतृत्व में हुई थी। उस समय चतरा और हजारीबाग के स्थानीय लोग मेले में पहुंचते थे, लेकिन धीरे-धीरे इसका स्वरूप बदलता गया और फिर इसमें बिहार, बंगाल और छत्तीसगढ़ के व्यापारी भी पहुंचने लगे। 

ज्ञातव्य हो कि इस मेले में दूर-दूर से लोग मवेशी, पशु-पक्षी की खरीदारी के लिए यहां पहुंचते हैं। यही नहीं, कई पारंपरिक हथियार, लोहे, पीतल, स्टील के बर्तन की भी खरीद-बिक्री जमकर होती है। झूले, नाच- गाना, थियेटर, आर्केस्ट्रा इत्यादि भी मेले की शोभा बढ़ाती है। जबकि यह मेला करीब दस दिनों तक चलता है। 

लोग गर्म सूर्यकुंड में स्नान करते हैं। लाखों लोग मकर संक्रांति के मौके पर लगने वाले बलबल पशु मेला में गर्म सूरज कुंड में स्नान करने यहां पहुंचते हैं। इसके साथ ही लोग चूड़ा तिलकुट का आनंद भी लेते है, यही नहीं, मेला परिसर में मौजूद मां बागेश्वरी मंदिर में हजारों लोग पूजा-अर्चना भी करते हैं। मेले को सजाने में समिति के लोग तन मन से लगे हैं और विभिन्न जिलों व राज्यों से आने वाले सैलानियों तक सुविधा पहुंचाने में जुट गए हैं।

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