ठंढ ने बरपाना शुरू किया कहर : अलाव की उठने लगी आवाज, हर वर्ष राहगीरों को नुक्कड़ - चौराहे पर होती थी आलावा की व्यवस्था, इस वर्ष नदारद


साहिबगंज : वैसे तो ठंढ ने अपना पांव पसार लिया है, लेकिन पिछले दो दिनों की भोर फिजा में चढ़ी कोहरे की चादर ने ठंढ को और हवा देने का काम कर दिया है। 

ठंढ ने बरपाना शुरू किया कहर : अलाव की उठने लगी आवाज, हर वर्ष राहगीरों को नुक्कड़ - चौराहे पर होती थी आलावा की व्यवस्था, इस वर्ष नदारद


ऐसे में जन मानस ठंढ से सिकुड़ने को मजबूर हो रहे हैं। अब लोगों को ठंढ से बचने के लिए अलाव याद आने लगा, तो लोग सरकारी जिम्मेदारों से सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की व्यवस्था कराए जाने की मांग करने लगे।

बता दें कि साहिबगंज तहसील क्षेत्र सहित ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का कहना है कि इस कड़ाके की ठंढ में अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है। शासन द्वारा कस्बा हो या ग्रामीणांचल सभी को अलाव जलवाने के लिए बजट मुहैया कराती है। नगर परिषद और प्रशासन के जिम्मेदार द्वारा नुक्कड़ और चौराहे पर अलाव की व्यवस्था हर वर्ष कराया जाता था, ताकि राहगीर, गरीब गुरबे व रिक्शा चालक ठंढ से बच सकें, लेकिन जिम्मेदार लोग ही इतनी कड़ाके की ठंढ में भी कान में तेल डालकर बैठे हैं और अभी तक कोई अलाव की व्यवस्था नहीं कराई गई है।

हालांकि साहिबगंज प्रखंड मुख्यालय के न्यायालय में लगभग हजारों की तादाद में वादी, प्रतिवादी लोगों और अधिवक्ताओं का आना - जाना भी लगा रहता है। लोग सुबह से ही अपने मुकदमे को लेकर व अन्य कामों से तहसील में आकर बैठ जाते हैं और ठंढ़ा से कंपकपाते रहते हैं, 


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