नवनियुक्त डीजीपी का दावा : नागरिकों की सुरक्षा करेंगे सुनिश्चित, नक्सल, अवैद्य कारोबार और अपराध का खात्मा ही लक्ष्य, मगर चुनौतियां भी कम नहीं, पढ़ें एक रिपोर्ट


रांची : झारखंड के नए डीजीपी अजय कुमार सिंह ने बुधवार को पदभार ग्रहण किया.

नवनियुक्त डीजीपी का दावा : नागरिकों की सुरक्षा करेंगे सुनिश्चित, नक्सल, अवैद्य कारोबार और अपराध का खात्मा ही लक्ष्य, मगर चुनौतियां भी कम नहीं, पढ़ें एक रिपोर्ट


बता दें कि शनिवार को नीरज सिन्हा डीजीपी पद से सेवानिवृत हो गए. 1989 बैच के आईपीएस अजय कुमार सिंह पदभार ग्रहण करने के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि जनता की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है. राज्य में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी. जो चुनौतियां हैं, उसका सामना करेंगे, विधि - व्यवस्था एवं अपराध की रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास करेंगे. राज्य के लोगों को पुलिस की सभी सुविधाएं आसानी से मिले, इस पर अधिक जोर रहेगा.

उन्होंने बताया कि राज्य से अपराध और नक्सल को खत्म किया जाएगा. राज्य में नक्सलियों के खिलाफ जो अभियान चल रही है, राज्य पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों की सहायता से कई नक्सल ऑपरेशन चलाकर काफी हद तक नक्सलियों के कब्जे वाले कोर एरिया तक पहुंचने में पुलिस को सफलता मिली है.जनता का विश्वास हासिल करने में सफल हुए हैं. जिससे नक्सली बैकफुट पर हैं. नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियान को और आगे बढ़ाया जाएगा. राज्य में अमन चैन कायम करने, विधि- व्यवस्था दुरुस्त करने और कानून का राज स्थापित करने पर काम करेंगे. उन्होने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को और तेज किया जाएगा.
रामगढ़ में एएसपी के पद पर दिया था योगदान

1989 बैच के आईपीएस अधिकारी अजय कुमार सिंह की पहली पोस्टिग रामगढ़ में बतौर एएसपी के रूप में 1991 में हुई थी. 32 साल के पुलिस कैरियर में उन्होने मुजफ्फरपुर, लखीसराय, पूर्णिया, मुंगेर, गोड्डा, गिरिडीह, देवघर, कोडरमा, धनबाद एसपी के रूप में सेवा दी है. डीजीपी के पद पर योगदान देने से पूर्व पुलिस हाउसिंग के एमडी सह डीजी, एसीबी भी थे. बतौर एडीजी उन्होने सीआईडी, स्पेशल ब्रांच और रेल में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
कोयला कारोबार, पशु तस्करी समेत कई अपराध पर लगाम लगाने की चुनौती भी

झारखंड के नए डीजीपी अजय कुमार सिंह के कंधे पर होंगी, कई काम चुनौतियों भरे साबित होंगे. कोयला कारोबार, पशु तस्करी, नक्सल और अपराध पर लगाम लगाना कठिन टास्क है. राज्य में अवैध रूप से कोयले का उत्खनन बंद करा पाना किसी चुनौती से कम नही है. वर्षों से कोयला माफिया के द्वारा राज्य में दर्जनों खदानें बनाकर कोयले का उत्खनन किया जा रहा है. हालांकि कई बार कोयले के अवैध खनन को बंद कराने के लिए कार्रवाई की गई है. इसके बाद भी कोयले का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. 

अवैध कोयले के कारोबार में स्थानीय पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठे है. ऐसे में कोयले के अवैध कारोबार पर रोक लगाना किसी चुनौती से कम नही है. वहीं राज्य में गौवंशीय पशु की तस्करी भी धड़ल्ले से की जाती है. पशु तस्कर झारखंड से बंगाल के रास्ते बंगलादेश पशु तस्करी संगठित होकर कर रहे हैं, इन तस्करों पर कार्रवाई इतना आसान नहीं है. बीते साल तुपुदाना इलाके में पशु तस्कर द्वारा एक एसआई को कुचल दिया गया था. 

पशु तस्करों पर नकेल कसना भी नए डीजीपी के लिये चुनौती होगी. राज्य में हाल ही में हुई ताबड़तोड़ अपराधिक घटना, देवघर गोली कांड समेत कई मामलों के चलते पटरी से उतरी कानून व्यवस्‍था को वापस ट्रैक पर लाना उनके लिए बड़ी चुनौती साबित होगी. नक्सल को लेकर पुलिस का दावा है कि राज्य में 80 से 90 प्रतिशत तक नक्सल कम हुए हैं, लेकिन हाल के दिनों में चाईबासा इलाके में सुरक्षाबल लगातार नक्लियों के निशाने पर रहे हैं, कई कंस्ट्रक्शन साईट में नक्सल हमले हुए हैं. ऐसे में इसपर अंकुश लगाने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

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