प्रभु श्रीराम ने कहां ग्रहण की थी शिक्षा, जानें कहां है उनके गुरु का आश्रम


बाराबंकी : रामायण काल के संदर्भ में बाराबंकी जिले का रामनगरी अयोध्या के पास होने की वजह से बहुत खास महत्व है। अयोध्या राज्य का अंश रहे बाराबंकी जिले का सतरिख इलाका कभी सप्तऋषि धाम और आश्रम के रूप में जाना जाता था।

प्रभु श्रीराम ने कहां ग्रहण की थी शिक्षा, जानें कहां है उनके गुरु का आश्रम

बताया जाता है कि यह महर्षि वशिष्ठ का आश्रम है। सप्तऋषियों ने भी यहीं पर तपस्या की थी। साथ ही प्रभु श्रीराम ने अपने तीनों भाइयों के साथ यहां शिक्षा–दीक्षा प्राप्त की थी। बाद में मुगल आक्रमणकारियों ने इस आश्रम का विध्वंस किया था।

अब अयोध्या में भव्य राम मंदिर में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही सतरिख को भी एक बार फिर से सप्तऋषि धाम के रूप में विकसित करके इसका पुनरद्धार किया जाएगा। इसको लेकर यहां के लोगों में काफी उत्साह है।

बता दें कि बाराबंकी जिले के सतरिख-चिनहट मार्ग सप्तऋषि आश्रम है।सप्तऋषियों के आश्रम में प्राचीन राम, लक्ष्मण और माता सीता की मूर्तियां स्थापित हैं। यहां पर प्रभु श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के साथ सप्तऋषियों से शिक्षा-दीक्षा ली थी। 

प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर इस आश्रम के लोग बहुत खुश हैं।सप्तऋषि आश्रम पर मौजूद राम, लक्ष्मण और सीता की प्राचीन मूर्तियों का रोजाना तिलकोत्सव और पूजा अर्चना होती है। सतरिख को प्राचीन धरोहर के रूप में माना जाता है, क्योंकि यहां से प्रभु श्रीराम का पुराना और खास नाता है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि भगवान राम के जन्म से पहले यह सप्तऋषि आश्रम एक गुरुकुल था।बीऋषि मुनि यहां निवास करते थे।नयहां कई ऐसे राक्षस भी हुआ करते थे, जो ऋषि–मुनियों को यज्ञ और अनुष्ठान नहीं करने देते थे, जिनसे ऋषि–मुनि बहुत परेशान रहते थे।

ऐसे में राक्षसों से छुटकारा पाने के लिए गुरु विश्वामित्र खुद अयोध्या गए। उन्होंने वहां देखा कि राम 13 साल के हो गए हैं। इसके बाद गुरु विश्वामित्र ने राजा दशरथ से चारों भाइयों को मांगा और सप्तऋषि आश्रम लेकर आए। उन्होंने चारों भाइयों को यहीं पर धनुष विद्या सिखाई।

महंत नानक शरण दास उदासीन ने बताया कि धनुष विद्या सीखने के बाद प्रभु राम ने सभी राक्षसों का संहार किया। आज भी इस आश्रम में ऐसी कई चीजें हैं जो इन सभी बातों का प्रमाण देती हैं। उन्होंने बताया कि भगवान राम जब धनुष विद्या सीख रहे थे,

तब एक तीर जाकर करीब डेढ़ किलोमीटर दूरी पर गड़ गया था, जो आज भी मौजूद है। वह तीर अब तो पत्थर का है, जिसकी लोग आज भी पूजा अर्चना करते हैं। पास में कुआं और नदी बहती है।भगवान राम वहीं स्नान करते थे। इसी कुंआ से आश्रम के सभी विद्यार्थी पानी पीते थे और खाना बनाते थे। यह भूमि ऋषि-मुनियों की परंपरा से भरी हुई है।

बाराबंकी के रहने वाले साहित्यकार अजय गुरू जी ने बताया कि रामायण कालखंड के 3 बड़े ऋषि हुए हैं, जिनमें उत्तर भारत के महर्षि वशिष्ठ, दक्षिण भारत में महर्षि अगस्त और मध्य भारत में महर्षि विश्वामित्र शामिल हैं। उन्होंने बताया कि दुनिया में जहां कहीं भी राम हैं, 

वहां इन तीनों ऋषियों की चर्चा जरूर होगी।महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम और उनके भाइयों को शास्त्र ज्ञान दिया था। वहीं महर्षि अगस्त ने शस्त्र और शास्त्र दोनों विद्या सिखाई, जबकि महर्षि विश्वामित्र के निर्देशन में भगवान राम ने अपने जीवन का बहुत बड़ा काल खंड जिया, जिसमें उन्होंने कई राक्षसों का भी विध्वंस किया था।

By : Sanjay Kumar Dhiraj

0 Response to "प्रभु श्रीराम ने कहां ग्रहण की थी शिक्षा, जानें कहां है उनके गुरु का आश्रम"

Post a Comment

साहिबगंज न्यूज़ की खबरें पढ़ने के लिए धन्यवाद, कृप्या निचे अनुभव साझा करें.

Iklan Atas Artikel

Iklan Tengah Artikel 2

Iklan Bawah Artikel