राजमहल पहाड़ मामले में एनजीटी का आया आदेश
फिलहाल कोई कड़ा आदेश पारित नहीं होने से पुलिस प्रशासनिक पदाधिकारियों समेत पत्थर माफियाओं ने ली राहत की सांस,अगली सुनवाई 18 सितंबर को
साहिबगंज: चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता सह पर्यावरण प्रेमी सैयद अरशद नसर द्वारा जिला के ऐतिहासिक राजमहल पहाड़ के संरक्षण व संवर्धन हेतु व जिले में अवैध रूप से संचालित सभी स्टोन माईंस व क्रशर को संपुर्ण रूप से बंद कराने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, ईस्टर्न जोन कोलकाता में माह जनवरी 2017 में दायर याचिका संख्या-23/2017 की सुनवाई बुधवार को पीठ के ज्यूडिशियल मेंबर जस्टिस बी.अमित स्टालेकर व एक्स्पर्ट मेंबर डा. अरूण कुमार वर्मा ने की।
गुरूवार को इस मामले में एनजीटी का आदेश आया है। आदेश में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा बीते 19 जनवरी को दाखिल हलफनामा का उल्लेख करते हुए कहा गया की साहिबगंज के विशाल क्षेत्र में अवैध पत्थर खनन कर रेलवे, सड़क व अंतर्देशीय जहाजों के माध्यम से एक हज़ार करोड़ से अधिक का अवैध रूप से परिवहन हुआ है, जो वर्तमान में भी जारी है। जिससे क्षेत्र में वन पर्यावरण और पहाड़ आदि को भारी नुकसान पहुंचा है।
झारखंड प्रदुषण बोर्ड ने फ्रेश हलफनामा दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का और अतिरिक्त समय की मांग की, जिसे एनजीटी द्वारा स्वीकार करते हुए झारखंड प्रदुषण बोर्ड को आदेश दिया की हलफनामा दाखिल करने में ईडी द्वारा दाखिल हलफनामा को ध्यान में रखना है।
एनजीटी ने अधिवक्ता दीपांजन घोष तथा अधिवक्ता अनामिका पांडे का नाम वाद सुची से हटाने का भी आदेश दिया है। याचिकाकर्ता अरशद की ओर से कोलकाता हाईकोर्ट की विद्वान अधिवक्ता पौशाली बनर्जी ने पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान अरशद भी उपस्थित थे।
फिलहाल एनजीटी द्वारा कोई कड़ा आदेश पारित नहीं करने के चलते पुलिस प्रशासनिक पदाधिकारियों समेत पत्थर कारोबारियों व माफियाओं ने राहत की सांस ली है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 सितम्बर को होगी।
By: संजय कुमार धीरज
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