हर्षोल्लास के साथ मनी धूपची मेला, सजी लकड़ी और लोहे के दुकानें
साहिबगंज : जिले के बरहरवा प्रखंड अंतर्गत भीमपाड़ा गांव में धूपची मेला का आयोजन किया गया। स्थानीय लोगों की मानें तो लगभग 245 वर्षों से भीमपाड़ा गांव में धूपची मेला का आयोजन किया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष मकर संक्रान्ति के पहले रविवार को सूर्योपासना का पर्व धूपची मेले का आयोजन किया जाता है।
बरहरवा स्टेशन से भीमपाडा की दूरी महज तीन किलोमीटर ही है, लेकिन मेले के समय यहां तक पहुंचने के लिए भीड़ की वजह से अच्छी–खासी मशक्कत करनी पड़ती है। कहा जाता है कि जब इस क्षेत्र में महामारी फैली थी, तो स्थानीय लोग गांव छोड़ अन्य जगहों पर पलायन करने लगे थे।
ऐसा देखकर गांव के पुरखों ने महामारी से बचाव के लिए अपने – अपने देवी–देवताओं की पूजा– अर्चना शुरू कर दिया। इसी दौरान गांव के ही दिवंगत गौतमी देवी को सपना आया की उसके घर के पीछे विशाल वटवृक्ष के नीचे मिट्टी में दबी शिला पर भगवान सूर्य की उपासना करते हुए जलारपा करने से महामारी समाप्त हो जाएगी।
इसके बाद गौतमी देवी और गांव वालों द्वारा सूर्य देव की उपासना करते हुए जलार्पण करने से महामारी खत्म हो गई। इसके बाद से ही यहां पर भगवान भास्कर की पूजा की जाने लगी। शुरुआती दौर में यहां लगने वाला मेला काफी छोटा व गांव तक ही सीमित हुआ करता था,
लेकिन यहां की ख्याति बढ़ने के साथ लोग ज्यादा संख्या में आने लगे। अब यहां भव्य एकदिवसीय मेला लगता है। इस मेला में लकड़ी व लोहे से बनी तरह–तरह के सामग्रियों की बिक्री जमकर होती है। पिछले वर्ष यहां काफी कम संख्या में लकड़ी व लोहे से बनी सामग्रियों कि दुकानें लगी थी, लेकिन इस बार लकड़ी के बने सामानों की दुकानें काफी संख्या में लगाई गई है। साथ ही मेले में बच्चों के लिए झूले और खिलौनों की दुकानें भी सजी थी।
साहिबगंज से संजय कुमार धीरज
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