सरयू के रक्षक भगवानदीन निषाद, 400 लोगों को डूबने से बचाया और 1700 शवों को सरयू नदी से बाहर निकाला
21 सालों से अयोध्या के रहने वाले भगवानदीन निषाद सरयू नदी की रक्षा कर रहे हैं। 35 साल के भगवान ने सरयू नदी साफ रखने, डूब रहे लोगों की जान बचाने और नदी से शवों को निकालने की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई हुई है। खास बात यह भी है कि वह इन कामों के लिए किसी से कोई पैसे नहीं लेते।
उनकी इस मुहिम की शुरुआत तब हुई, जब वह केवल 15 साल के थे। एक दिन वह घाट पर बैठे थे तभी नदी में एक आदमी डूबने लगा, जिसे देखकर भगवानदीन ने एक डंडे की मदद से उनकी जान बचाई। ‘भगवान ने उसे बचा लिया’ इस घटना के बाद लोगों में यह चर्चा होने लगी।
इस पूरी परिस्थिति से उन्हें अहसास हुआ कि हर व्यक्ति के अंदर ईश्वर बसे होते हैं, इसलिए हम चाहें तो अपनी इच्छाशक्ति और प्रयत्न से किसी का जीवन भी बदल सकते हैं। इससे प्रेरित होकर उन्होंने दूसरों की जान बचाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
अब क्षेत्र के हर पुलिस थाने में उनका मोबाइल नम्बर दर्ज है। डूब रहे लोगों को बचाना हो, या पानी से डेड बॉडी निकालना हो, उन्हें बुलाया जाता है और वह मदद के लिए तुरंत मौके पर हाज़िर होते हैं। भगवानदीन को इसके लिए कोई सैलरी नहीं मिलती, वह अपनी इच्छा से यह नेक काम करते आ रहे हैं।
उनके पास न ही लाइफ जैकेट है, और न ही इंश्योरेंस; बावजूद इसके पानी में डूब रहे लोगों की प्राण रक्षा के लिए उनकी टीम समर्पित रहती है। जी हां, 28 गोताखोरों की उनकी एक टीम भी है, जिनमें से कई लोगों को ‘उत्तर प्रदेश सरकारी गोताखोर' का दर्जा मिला हुआ है और भगवानदीन भी इसमें शामिल हैं।
वह अब तक लगभग 400 लोगों की जान बचा चुके हैं और 1700 से ज़्यादा शवों को नदी से निकाल चुके हैं। इस तरह वह सरयू नदी को स्वच्छ रखने में एक बड़ा योगदान दे रहे हैं, इसीलिए उन्हें सरयू नदी का रक्षक कहा जाता है।
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