सीखने की कोई उम्र नहीं होती... यकीन न हो तो आप खुद पढ़ लीजिए एक बार
आप पांच साल के बच्चे हों, या इक्कासी साल के बुजुर्ग, सीखने की कोई उम्र सीमा नहीं होती! इसी का उदाहरण हैं चित्तौड़गढ शहर निवासी सतपाल अरोड़ा, जिन्होंने 81 साल की उम्र में लॉ की पढ़ाई करने के लिए कॉलेज में एडमिशन लिया है।
अरोड़ा नियमित रूप से कॉलेज आते हैं और अपने से कई वर्ष छोटे छात्रों के साथ बैठकर पढ़ाई भी करते हैं। उनके इस प्रयास ने सभी को प्रभावित किया है। उनकी कक्षा में बैठने और सीखने की ललक किसी युवा छात्र से कम नहीं है।
40 साल बाद फिर से कॉलेज की चौखट पर कदम रखने वाले सतपाल अरोड़ा ने 40 साल पहले एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद अब लॉ की डिग्री लेने का लक्ष्य तय किया है। उन्होंने लॉ करने का फैसला अपने परिचित और एमएलवी कॉलेज के लेक्चरर से प्रेरणा लेकर किया।
एलएलबी के बाद उनका पीएचडी करने का भी सपना है। सतपाल का मानना है कि उम्र कभी भी किसी काम में रुकावट नहीं बननी चाहिए। उनका कहना है कि जीने के लिए हमें हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए।
अपने दोनों बेटों के साथ खुशहाल पारिवारिक जीवन जीने वाले अरोड़ा अपने जुनून और मेहनत से मानव को यह संदेश देना चाहते हैं कि किसी भी उम्र में शिक्षा को अपनाकर नई दिशा पाई जा सकती है। उनका यह सफर हर उम्र के व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है।
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